नई दिल्ली: भारत और नेपाल के शिश्तों में आया तनाव अब जमीन पर दिखने लगा है. धारचूला में काली नदी पर बना पुल बंद कर दिया गया है. अब इस पर दोनों देशों की ओर से कोई आता-जाता नहीं है. कभी रोज इस पुल से दोनों देशों के लोग गुजरते थे.

दरअसल धारचूला पिथौरागढ़ जिले में आता है और नेपाल की सीमा से सटा है. उत्तराखंड के धारचूला की तरफ से काली नदी के पुल को पार करते ही नेपाल है. यहां से काठमांडू की दूरी 965 किलोमीटर है. 60 मीटर के इस पुल को अब बंद कर दिया गया है.

भारत में रहने वाले लोगों की माने तो नेपाल से भारत के बहुत अच्छे संबंध थे, लेकिन चीन के बहकावे में आकर नेपाल ने अपने संबंध खराब कर लिए हैं.

दोनों देशों के बीच फिलहाल व्यापार भी बंद है. धारचूला के रहने वाले लोगों की माने तो व्यापार बंद होने से ज्यादा दिक्कत नेपाल के लोगों को ही है और इससे भारत को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. यहां के लोगों का कहना है कि भारत के साथ नेपाल का रोटी और बेटी का रिश्ता था जब भी किसी की शादी होती थी तो बारात पुल से होकर जाती थी. अब पुल के एक तरफ भारत के एसएसबी के जवान हैं, तो दूसरी तरफ नेपाल के जवान और पुल के दोनों तरफ ताला लगा है.

धारचूला के ही रहने वाले राजू खिमाल ने हमे बताया, "चाइना के भड़कावे में आकर नेपाल ने अच्छा नही किया. पुल अभी बंद है जब तक समझौता नहीं होता है पुल का खुलना मुश्किल है यहां से बहुत आसानी से नेपाल आते-जाते थे किसी कार्ड की कोई जरूरत नहीं थी हम अपना जरूरत का सामान ला भी सकते थे और ले जा भी सकते थे, कोई भी दिक्कत नहीं थी, लेकिन सभी कारोबार बंद हो गया है.”

स्थानीय निवासी कुंदन बताते हैं कि जो नेपाली नागरिक बॉर्डर पर रहते हैं, उनको काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं, क्योंकि उनका रोजगार यहीं पर था. मजदूरी करना और भी बहुत सारे ऐसे काम हैं, जो वे यहां पर आकर करते थे. हम इंडियंस को कोई प्रॉब्लम नहीं है. दिक्कत नेपाल को है भारत को कोई प्रॉब्लम नहीं है चाहे 1 साल के लिए फुल बंद हो जाए.

दरअसल ड्रैगन के बहकावे में आकर नेपाल ने भारत के साथ संबंध खराब कर लिए है. जब से धारचूला से लिपूलेख तक भारत ने सड़क बनाई है तभी से चीन नेपाल को भारत के खिलाफ उकसा रहा है. क्योंकि ये सड़क चीन को कांटे की तरह चुभ रही है. इसकी वजह है भारत का चीन के इतने करीब आ जाना.

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