तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक उप-निरीक्षक (SI) को आयप्पा दीक्षा (माला धारण करना) के लिए नोटिस जारी किए जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है. इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार (25 नवंबर, 2025) को हैदराबाद पुलिस पर तीखा हमला बोलते हुए पक्षपात का आरोप लगाया है और आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
दरअसल, यह मामला फलकनुमा पुलिस स्टेशन में तैनात उप-निरीक्षक सी. अंजय्या का है, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान आयप्पा स्वामी की दीक्षा के लिए माला धारण की थी. उन्हें उनके वरिष्ठ अधिकारी, असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP), फलकनुमा डिवीजन की ओर से एक नोटिस जारी किया गया. इस नोटिस में 'तेलंगाना सब-ऑर्डिनेट सर्विस पुलिस कंडक्ट रूल्स, 1984' के नियम 11 का हवाला देते हुए कहा गया कि कर्तव्य पर तैनात कार्यकारी कर्मचारियों को धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने या कोई ऐसा पहनावा या प्रतीक धारण करने की अनुमति नहीं है, जो पुलिस वर्दी के साथ विरोधाभासी हो.
भाजपा ने पुलिस प्रशासन पर लगाया भेदभाव का आरोप
इस आदेश की तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने एक बयान जारी कर कहा कि हैदराबाद पुलिस ने आयप्पा भक्तों के साथ भेदभाव किया है. पार्टी के प्रवक्ता ने सवाल उठाया, ‘क्या अब तेलंगाना पुलिस विभाग AIMIM के आदेशों के तहत काम कर रहा है?’ भाजपा ने आरोप लगाया कि एक विशेष समुदाय के लोगों को उपवास रखने के लिए विशेष छूट (आधे दिन की) दी जाती है, लेकिन आयप्पा भक्तों को प्रतिबंधित किया जा रहा है.
भाजपा ने इस आदेश को 'मनमाना फरमान' करार देते हुए कहा कि यह स्पष्ट पक्षपात है और यह बर्दाश्त के बाहर है. पार्टी ने हैदराबाद सिटी पुलिस से इस पक्षपातपूर्ण निर्देश को तत्काल वापस लेने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
भाजपा के आरोप के बाद पुलिस प्रशासन ने दिया स्पष्टीकरण
वहीं, पुलिस प्रशासन का कहना है कि यह आदेश किसी भी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है. यह नियम सभी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होता है, ताकि वर्दी की पवित्रता और अनुशासन बना रहे. पुलिस के अनुसार, कार्यकारी कर्मचारियों (Executive Staff) को ड्यूटी पर रहते हुए किसी भी धार्मिक रीति-रिवाज का पालन करने से रोका गया है, जबकि प्रशासनिक कर्मचारियों (Administrative Staff) को DG या वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति से ऐसा करने की छूट है.
यह मामला अब धार्मिक आस्था और प्रशासनिक नियमों के बीच एक नए राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है, जिसके आगे के नतीजों का इंतजार है.
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