तेलंगाना की राजनीति इन दिनों जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव के बहाने एक तीखे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की भेंट चढ़ती दिख रही है. बीजेपी के मुखर नेता संजय कुमार ने जुबली हिल्स की 80 फीसदी आबादी को हिंदू बताकर यह दावा किया कि ये वोट बीजेपी की झोली में गिरेंगे. उनका यह बयान सीधे तौर पर चुनावी समीकरण को हिंदू-मुस्लिम रंग देने का प्रयास माना जा रहा है.

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इस 'हिंदू कार्ड' पर तत्काल और करारा जवाब आया राज्य के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी का. रेड्डी ने बंडी संजय कुमार पर 'केवल हिंदू-मुस्लिम राजनीति' करने का आरोप लगाते हुए पूछा, "अगर जुबली हिल्स उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है, तो क्या बंडी संजय यह स्वीकार करेंगे कि हिंदू मतदाता भाजपा का समर्थन नहीं करते हैं?"

रेवंत रेड्डी का पलटवाररेवंत रेड्डी का यह पलटवार केवल जुबानी हमला नहीं है, बल्कि यह भाजपा की ध्रुवीकरण की रणनीति पर एक सीधा राजनीतिक दांव है. अगर बीजेपी उम्मीदवार हारता है और जमानत जब्त होती है तो बंडी संजय कुमार का 80 प्रतिशत हिंदू वोटों का दावा न केवल झूठा साबित होगा, बल्कि यह भी साबित होगा कि क्षेत्र के हिंदू मतदाता धार्मिक पहचान से ऊपर उठकर राजनीतिक पसंद रखते हैं.

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वहीं, अगर बीजेपी जीतती है या कड़ा मुकाबला देती है, तो बंडी संजय का बयान 'सफल' माना जाएगा और तेलंगाना की राजनीति में सांप्रदायिक लकीरें और गहरी हो सकती हैं. जुबली हिल्स एक पॉश और विविध निर्वाचन क्षेत्र है, जहां वर्ग, जाति और विकास के मुद्दे भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 

क्या होगी बंडी संजय की चुनावी रणनीति ?रेवंत रेड्डी ने उन्हें 'जमानत जब्त' होने की चुनौती दी है. यह चुनावी दंगल अब केवल सीट जीतने का नहीं रहा, बल्कि यह इस बात का भी लिटमस टेस्ट बन गया है कि तेलंगाना का मतदाता ध्रुवीकरण की राजनीति को कितना स्वीकार या खारिज करता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बंडी संजय इस चुनौती का जवाब किस चुनावी रणनीति से देते हैं.

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