नई दिल्ली: देश आज शिक्षक दिवस मना रहा है. इस मौके पर लोग उन सभी शिक्षकों को याद कर रहें हैं जिनका उनके जीवन में अहम योगदान रहा. जिन्होंने अपने अनुभव और सीख के जरिए जीवन की राह आसान बनाई. हमारे समाज में शिक्षक को सबसे सम्मानित दर्जा प्राप्त है. शिक्षकों को यह सम्मान समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए मिला है. आज भी हमारे समाज में कई ऐसे शिक्षक हैं जो अपने आप में एक मिसाल हैं. राजस्थान के अजमेर में एक ऐसी शिक्षिका हैं जिनका भारत से कोई नाता नहीं है लेकिन फिर उन्होंने भारत की बेटियों को शिक्षा देकर कभी ना टूटने वाला रिश्ता बना लिया है.

डोमिनिकन रिपब्लिक ऑफ अमेरिका से 15 साल पहले मारा सान्द्री आईं तो थीं पुष्कर घूमने के लिए लेकिन जब यहां की स्कूलों में ज्यादातर लड़कों को ही पढ़ने के लिए जाते देखा तो वह दुःखी हो गईं. उन्होंने उसी वक्त एक संस्था बनाई और एक स्कूल शुरू किया जिसमें केवल गरीब परिवारों की लड़कियों को ही पढ़ाना शुरू किया.

आज इस स्कूल में करीब 600 निर्धन लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं. खास बात यह है कि इस काम में कोई सरकारी मदद नहीं ली जाती. पढ़ाई का सारा खर्च फियोर दी लोटो इंडिया संस्था ही वहन कर रही है.

स्कूल के बच्चों की प्रार्थना से लेकर छुट्टी होने तक पूरे दिन यह अनूठी टीचर बच्चों को कुछ ना कुछ सिखाती रहती हैं. मारा का कहना है कि बच्चों के साथ रहकर उन्हें जो खुशी मिलती है उसे शब्दों मे बयान नही किया जा सकता.

पूरे साल में लगभग 5 महीने मारा पुष्कर में ही इन बच्चों के बीच रहती हैं और उनको अच्छी से अच्छी शिक्षा मुहैय्या करवाने के लिए कड़ी मेहनत करती है. फियोर दी लोटो इंडिया संस्था यहां आने वाली लड़कियों को कॉपी, किताबें, खाना, घर से आने जाने के लिए बस की सुविधा सहित स्कूल ड्रेस और साल में अन्य त्यौहारों पर फैंसी ड्रेस तक निःशुल्क देती है.

हर साल लगभग 25 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इसके अलावा लगभग 17 लड़कियों के परिवार को 2 कमरे और किचन का पक्का मकान भी बनाकर दिया जा चुका है. कई बुजुर्गो लोगों को मासिक पेंशन के साथ साथ निर्धन परिवारों को राशन का सामान और कई गरीब लोगों की गंभीर बीमारियों के बड़े ऑपरेशन खर्चा भी संस्था मारा की संस्था करवा चुकी है.