Waqf Amendment Bill: केंद्र सरकार बुधवार (2 अप्रैल 2025) को वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पेश करेगी. इससे पहले देश में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने वक्फ संसोधन बिल का समर्थन करने की बात कही है. टीडीपी ने कहा है कि यह बिल मुसलमानों के पक्ष में हैं. बीजेपी यह बात जानती है कि उसे इस बिल को संसद में पास कराने के लिए अपने सहयोगियों की जरूरत पड़ेगी, इसलिए पार्टी ने पहले मीटिंग कर अपने गठबंधन के भीतर बाकी पार्टियों को राजी किया.

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टीडीपी ने तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. सूत्रों के मुताबिक टीडीपी ने केंद्र सरकार को वक्फ बिल को लेकर तीन सुझाव दिए थे, जिसे स्वीकार कर लिया गया. टीडीपी का कहना है कि सीएम चंद्रबाबू नायडू मुस्लिमों के पक्ष में हैं. हाल ही में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा था टीडीपी ने हमेशा वक्फ संपत्तियों की रक्षा की है और उनकी पार्टी वंचित मुस्लिम परिवारों के आर्थिक उत्थान की दिशा में काम करती रहेगी.

क्या था टीडीपी का प्रस्ताव?

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टीडीपी ने केंद्र के सामने Waqf by user क्लॉज को हटाने का प्रस्ताव रखा था. इसके तहत अगर लंबे समय से कोई संपत्ति धार्मिक कारणों के लिए इस्तेमाल हो रही है तो उसे वक्फ माना जाता था, भले ही उसके पास कोई दस्तावेज नो हो. टीडीपी ने कलेक्टर के अधिकार को लेकर सवाल खड़े किये थे. इसके अलावा उन्होंने दस्तावेजों को डिजिटल रूप से अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी.

टीडीपी के सुझाव के बाद क्या बदला?

वक्फ बिल को लेकर केंद्र सरकर ने टीडीपी के सुझावों को देखते हुए जरूरी बदलाव किए. पहले जांच का अधिकार कलेक्टर रैंक के अधिकारी के पास था, जो अब नए बिल के प्रावधान के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से नियुक्त कोई वरिष्ठ अधिकारी (कलेक्टर से सीनियर) वक्फ संपत्ति की देखरेख और निगरानी करेगा.

टीडीपी के सुझावों के बाद वक्फ परिषद/बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या में वृद्धि हुई हैं, गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती से पदेन सदस्य (मुस्लिम या गैर मुस्लिम) को बाहर रखा जाएगा. अब समिति में दो सदस्य हिंदू या इस्लाम के अलावा किसी अन्य धर्म से हो सकते हैं और राज्य सरकार के अधिकारी को जोड़ा जाएगा.

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