TB Test Without X-Ray: टीबी की बीमारी ऐसा रोग है जिसका समय पर उपचार न हो तो जानलेवा साबित होती है. इसके उपचार के लिए कई तरह की जांच की जाती है. जिनमें बलगम की जांच और एक्सरे प्रमुख हैं. लेकिन अब इसकी जांच भी बदलने वाली है. डॉक्टर्स इसकी जांच पर एक्सपेरीमेंट कर रहे हैं जिसमें सिर्फ खांसने और बोलने भर से पता चल जाएगा कि व्यक्ति टीबी की बीमारी से ग्रसित है. जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा है. ये प्रयोग कहीं और नहीं अपने देश में चल रहा है. मध्यप्रदेश के कई शहरों में इस पर प्रयोग किया जा रहा है. राज्य के 51 जिलों के कई जगहों से 6 हजार से ज्यादा सैंपल लिए जा चुके हैं और कुछ जगहों से सैंपल लिए भी जा रहे हैं.

किस तरह से लिए जा रहे हैं सैंपल

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल इनमें टीबी के मरीज, उनके संपर्क में आए व्यक्ति और उनका इलाज करने वाले डॉक्टर्स के भी सैंपल लिए जा रहे हैं. जिन लोगों के सैंपल ले लिए गए हैं उनकी टीबी की जांच की जाएगी. इसी के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाएगा कि जिन लोगों को टीबी थी उन लोगों की खांसी कैसी थी. एक मोबाइल एप के माध्यम से सबसे पहले उसका वॉइस सैंपल लिया जाता है फिर उसकी पूरी जानकारी दर्ज की जाती है. इसके बाद उस व्यक्ति से तीन बार खांसने या फिर आ, ओ, ई ये तीन अक्षर और एक से दस तक गिनती बोलने के लिए कहा जाता है. इनकी अलग अलग रिकॉर्डिग एप पर सेव करनी होती है.

सैंपल को भी कैटगरी में बांटा गया है

सैंपल लेने के तरीके को भी तीन तरह की कैटगरी में बांटा गया है. जो इस प्रकार हैं-

  • पहले ऐसे लोग जिनको टीबी होने का अंदेशा है. इलाज के लिए आने वाले ऐसे लोगों को इस संबंध में जानकारी देकर सैंपल रिकॉर्ड किए जा रहे हैं.
  • दूसरे ऐसे लोग जिनके परिवार के किसी भी सदस्य को टीबी की पुष्टि हुई है. उन परिवारों के सदस्यों के भी वॉइस सैंपल भी रिकॉर्ड किए जा रहे हैं.
  • तीसरा टीबी संक्रमित मरीजों के सैंपल कलेक्शन, जांच और इलाज के दौरान इनके संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के सैंपल भी लिए जा रहे हैं.

इनका एक डेटाबेस बनाया जाएगा. जब कोई व्यक्ति अपना टीबी का टेस्ट कराने के लिए सेंटर पर आएगा तो उसका वाइस सैंपल लिया जाएगा. डेटाबेस के आधार पर पता चल जाएगा कि उसकी आवाज टीबी वाली है या नहीं.

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