तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र से अपील की कि वह केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का निर्धारण करके दक्षिणी राज्यों को दंडित न करे. एम के स्टालिन ने साथ ही चेतावनी दी कि इस तरह के प्रयास का विरोध किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि अगर संसदीय क्षेत्र परिसीमन प्रक्रिया के जरिए राज्य के साथ ऐसा अन्याय किया गया तो तमिलनाडु और द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) इसे स्वीकार नहीं करेंगे. द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'हमारी मांग स्पष्ट है- केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का निर्धारण न करें. जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदारी भरे कदम उठाने वाले दक्षिणी राज्यों को दंडित न करें.'

सीएम स्टालिन ने अपने 72वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर कहा कि अगर ऐसा अन्याय किया गया तो तमिलनाडु और द्रमुक इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे. स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा, 'हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम तमिलनाडु के कल्याण और भविष्य के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे. हमें अपने राज्य के अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ना चाहिए. तमिलनाडु इसका विरोध करेगा और जीतेगा.'

उन्होंने कहा, 'आम तौर पर मैं अपना जन्मदिन धूमधाम से या दिखावटी तरीके से नहीं मनाता लेकिन मेरी पार्टी के कार्यकर्ता लोगों को कल्याणकारी सहायता वितरित करने, हमारी सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने के लिए सभाएं करने और हमारी पार्टी के आदर्शों का प्रचार करने जैसी गतिविधियां करते हैं.'

सीएम एम के स्टालिन ने कहा कि इस बार अपने जन्मदिन पर राज्य के सामने खड़ी दो महत्वपूर्ण चुनौतियों की याद दिलाते हुए कहा, 'भाषा, जो हमारी जीवन रेखा है उसके लिए लड़ाई और परिसीमन के खिलाफ लड़ाई ...' उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से लोगों को लड़ाई का असल उद्देश्य बताने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन राज्य के स्वाभिमान, सामाजिक न्याय और लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को सीधे प्रभावित करता है.

एम के स्टालिन ने जोर देकर कहा, 'आपको यह संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहिए. आप में से हर एक को हमारे राज्य की रक्षा के लिए खड़े होना चाहिए. हम इस वैचारिक लड़ाई में अग्रणी हैं. यह लड़ाई पूरे देश के लिए पथ प्रदर्शक है.' उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और अन्य जगहों से एकजुटता की आवाजें उठ रही हैं और इस प्रतिरोध को देखते हुए केंद्र ने राज्यों पर अपनी इच्छा न थोपने की बात की है. मुख्यमंत्री ने कहा, 'फिर भी उनके सभी कार्य इसके विपरीत संकेत देते हैं.'

उन्होंने कहा कि तीन-भाषा नीति के कारण तमिलनाडु की निधि को पहले ही रोक दिया गया है. इसी तरह, वे दावा करते हैं कि वे तमिलनाडु की संसदीय सीट को कम नहीं करेंगे, लेकिन यह आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं हैं कि अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातहीन रूप से नहीं बढ़ाया जाएगा.

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