'डिजिटल अरेस्ट' से जुड़े सभी केस सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि जिन राज्यों ने सीबीआई को जांच की सामान्य सहमति नहीं दे रखी है, वह भी अपने यहां दर्ज 'डिजिटल अरेस्ट' के केस सीबीआई को सौंप दें. कोर्ट ने संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज करने समेत और भी कई निर्देश दिए हैं.
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर देश भर में हो रही ठगी की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को सुनवाई शुरू की थी. कोर्ट ने भोले-भाले लोगों के साथ हो रही ठगी को चिंताजनक कहा था. कोर्ट ने सभी राज्यों से उनके यहां दर्ज डिजिटल अरेस्ट मामलों का ब्यौरा भी मांगा था. अब मामले में अहम आदेश आया है.
सोमवार, 1 दिसंबर को चीफ जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने 'डिजिटल अरेस्ट' मामलों की जांच को लेकर यह निर्देश दिए हैं :-
- सीबीआई को जांच को लेकर पूरी आजादी है. अपराध के बड़े दायरे को देखते हुए सीबीआई इंटरपोल की भी मदद ले.
- ठगी में इस्तेमाल बैंक खातों को तुरंत फ्रीज किया जाए.
- सीबीआई डिजिटल अरेस्ट स्कैम में इस्तेमाल बैंक खातों को खोलने और चलने देने में बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच कर सकती है
- रिजर्व बैंक बताए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर किस तरह संदिग्ध खातों की पहचान और उन्हें फ्रीज करने की कार्रवाई की जा सकती है
- एक ही नाम पर कई सिम जारी होना चिंताजनक है. दूरसंचार विभाग इससे निपटने के उपाय बताए. टेलीकॉम कंपनियों पर इसे लेकर सख्ती हो.
- आईटी रूल्स, 2021 के तहत आने वाली सभी संस्थाएं जांच में सहयोग करें. ठगी में इस्तेमाल संदिग्ध नंबर का डेटा सुरक्षित रखा जाए और जांच एजेंसी को उपलब्ध करवाया जाए.
कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह 2 सप्ताह में इंटरनेट ठगी के विषय की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों के नाम सुझाए. इन विशेषज्ञों और सीबीआई अधिकारियों को मिला कर एक एसआईटी बनाने पर विचार किया जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल डिजिटल अरेस्ट पर सुनवाई हो रही है. इसके बाद इन्वेस्टमेंट फ्रॉड और पार्ट टाइम जॉब के नाम पर होने वाली ठगी पर भी सुनवाई की जाएगी.