देशभक्ति साबित करने के लिए थियेटर में राष्ट्रगान के वक्त खड़ा होना अनिवार्य नहीं है. ये सख्त टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को की. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई राष्ट्रगान नहीं गा रहा है तो इससे वह देशद्रोही नहीं हो जाता, ना ही ये मान लिया जा सकता है कि वो कम देशभक्त है.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये भी कहा कि अगर उसे लगता है कि राष्ट्रगान के समय सभी को खड़ा रहना चाहिए तो वह इसके लिए कानून क्यों नहीं बना लेती? सुप्रीम कोर्ट ने ये सब टिप्पणियां उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं जिसमें देश भर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और इस दौरान खड़े रहने के आदेश में बदलाव की बात कही गई है. है.



कब हुआ था अनिवार्य

इससे पहले 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने थियेटरों में फिल्म शुरु होने से पहले राष्ट्रगान और दर्शकों के लिए खड़ा होना अनिवार्य कर दिया था. कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया था कि जब सिनेमाघर में राष्ट्रगान बजाया जाएगा तब राष्ट्रीय झंडे को परदे पर दिखाया जाएगा.



कब कब हुआ बवाल

अक्टूबर में ही गोहाटी के एक विकलांग शख्स को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था. उनका कसूर ये था कि वो व्हीलचेयर पर थे और थियेटर में राष्ट्रगान बज रहा था. कुछ लोगों ने उन्हें पाकिस्तानी भी कहा.

इससे पहले अगस्त महीने में भी हैदराबाद में जम्मू-कश्मीर के तीन छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया था. यह तीनों भी राष्ट्रगान के वक्त खड़े नहीं हुए थे. पुलिस ने इनको राष्ट्रगान के अनादर के मामले में पकड़ा था.

फरवरी में भी जम्मू से एक ऐसा मामला सामने आया था जहां रईस फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजने पर दो युवक खड़े नहीं हुए. पुलिस ने इन दोनों युवकों को राष्ट्रगान के अनादर के मामले में गिरफ्तार किया. इनके खड़े न होने पर अन्य लोगों ने एतराज जताया था.