Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ किसी व्यक्ति के धर्म के आधार पर उसके इरादों को गलत मान लेना सही नहीं होगा. इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने जावेद अहमद हजाम नाम के प्रोफेसर के खिलाफ IPC की धारा 153A के तहत दर्ज केस रद्द कर दिया है. जावेद अहमद ने अपने व्हाट्सऐप मैसेज में आर्टिकल 370 हटाने के दिन 5 अगस्त को काला दिन कहा था. एक दूसरे स्टेटस में उन्होंने 14 अगस्त यानी पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर खुशी जताई थी.


प्रोफेसर के जरिए ऐसा करने की वजह से उनके खिलाफ समाज में वैमनस्य फैलाने का मुकदमा दर्ज हुआ था. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में दर्ज यह केस सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के बारामूला के रहने वाले जावेद अहमद हजाम कोल्हापुर के संजय घोड़ावत कॉलेज में प्रोफेसर थे. वह एक व्हाट्सऐप ग्रुप के सदस्य थे, जिससे छात्र और अभिभावक जुड़े थे. 


क्या लिखने पर हुआ विवाद?


जावेद अहमद ने 13 से 15 अगस्त 2022 के बीच अपने व्हाट्सऐप मैसेज में 2 बातें लिखीं, जिन्हें आपत्तिजनक मानते हुए उन कर एफआईआर दर्ज हुई. एक मैसेज में उन्होंने 5 अगस्त (आर्टिकल 370 हटाने की तारीख) को काला दिन कहा और दूसरे में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) पर खुशी जताई.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 


पिछले साल 10 अप्रैल बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने से मना कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने इस फैसले को पलट दिया है. जजों ने कहा है कि अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हासिल है. सरकार के किसी फैसले की आलोचना करना इसके दायरे में आता है. 


अदालत ने कहा कि अगर किसी को आर्टिकल 370 हटाने का फैसला सही नहीं लगता, तो उसे इसके विरोध में अपनी बात कहने का अधिकार है. उस तरह किसी दूसरे देश के स्वतंत्रता दिवस पर वहां के लोगों को बधाई देने में भी कुछ गलत नहीं है. इसके लिए IPC की धारा 153A यानी सांप्रदायिक आधार पर वैमनस्य फैलाने या लोगों को उकसाने का केस दर्ज करना ठीक नहीं है. 


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