कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा. प्रतापगढ़ी ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गुजरात के जामनगर में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने इमरान को राहत का संकेत देते हुए कहा कि जो उन्होंने पोस्ट किया, वह बस एक कविता थी.

पहले हाईकोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने 17 जनवरी को हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 10 फरवरी को इस पर सुनवाई हुई. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओका ने कहा था कि यह कविता किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. ये कविता परोक्ष रूप से कहती है कि भले कोई हिंसा करे, लेकिन हम हिंसा नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि ये कविता सिर्फ यही संदेश दे रही है, यह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार इमरान प्रतापगढ़ी ने जामनगर में एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद एक वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसके बैकग्राउंड में एक कविता चल रही है, जिसके शब्द हैं- ऐ खून के प्यासे बात सुनो. राज्य सरकार ने कोर्ट से जवाब देने के लिए कुछ समय मांगा था, जिसके बाद कोर्ट ने तीन हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी.  

 

 

 

 

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