सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त, 2025) को दिल्ली और एनसीआर के इलाकों से सभी आवारा कुत्तों को हटाने को लेकर एक व्यापक आदेश दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद अब कई पशु अधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया सामने आई है. वहीं, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों का विस्थापन करना वैज्ञानिक तौर पर सही नहीं है और न ही ये एक प्रभावी तरीका है.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकायों को तत्काल रूप से सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाकर उन्हें शेल्टर में रखने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इन जानवरों को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा.
पेटा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर जारी किया बयान
वहीं, पेटा इंडिया के सीनियर डायरेक्टर ऑफ वेटरनरी अफेयर्स, डॉ. मिनी अरविंदन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बयान दिया है. उन्होंने कोर्ट के आदेश पर बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों को हटाने की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं.
डॉ. मिनी अरविंदन ने अपने बयान में कहा, “कई समुदायों के लोग अपने मोहल्लों में रहने वाले कुत्तों को अपने परिवार का हिस्से की तरह मानते हैं और इन कुत्तों का व्यापक विस्थापन करना या इन्हें कैद करना न तो वैज्ञानिक है और न ही यह तरीका कभी कारगर साबित हुआ है. साल 2022-23 में कराए गए जनसंख्या सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में करीब 10 लाख सामुदायिक कुत्ते हैं, जिनमें से आधे से भी कम की नसबंदी की गई है. ऐसे में दिल्ली की सड़कों से करीब 10 लाख सामुदायिक कुत्तों को जबरन हटाना उन समुदायों में आक्रोश पैदा करेगा, जो उनसे गहरा लगाव रखते हैं और यह कुत्तों के लिए बड़े पैमाने पर अराजकता और तकलीफ का कारण भी बनेगा. और तो और यह तरीका न तो कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करेगा, न रेबीज कम करेगा और न ही कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकेगा.”
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