नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला वाले दो टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था. ये निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है. अब सुपरटेक को अपनी लागत पर तीन महीने के भीतर दोनों दावरों को ध्वस्त करना होगा. साथ ही दोनों टॉवर के सभी फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया है.


सुप्रीम कोर्ट में सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को भवन मानदंडों का उल्लंघन करने पर ध्वस्त करने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध बताते हुए गिराने का आदेश दिया था. इन 40-40 मंजिला 2 टावरों में 950 फ्लैट बने हैं. हालांकि, बड़ी संख्या में लोग प्रोजेक्ट से अपने पैसे वापस ले चुके हैं. एमरल्ड कोर्ट परिसर में रह रहे लोगों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर सुपरटेक ने पैसों के लालच में सोसाइटी के ओपन एरिया में बिना अनुमति के यह विशाल टावर खड़े कर दिए.


सुप्रीम कोर्ट ने चार अगस्त को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना के घर खरीदारों को स्वीकृत योजना मुहैया कराने में विफल रहने पर नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा था, 'आप (प्राधिकरण) चारों तरफ से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं.' पीठ ने कहा था कि जब घर खरीदारों ने योजना सौंपने के लिए कहा तो प्राधिकरण ने डेवलपर से पूछा क्या इसे शेयर करना चाहिए. डेवलपर के कहने पर उन्हें योजना सौंपने से इनकार कर दिया गया. रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड ने इन टावरों के निर्माण का बचाव किया था और दावा किया था कि यह अवैध कार्य नहीं है.


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