सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार की याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई करेगा. तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सरकार से कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीर का उपयोग नहीं करने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 अगस्त, 2025) को कहा कि वह बुधवार को मामले पर सुनवाई करेगा.
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया कि हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कल्याणकारी योजनाओं में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं में मुख्यमंत्री के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया जा सकता है. बेंच बुधवार को याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई.
मद्रास हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को तमिलनाडु सरकार को किसी भी नई या पुनः पेश की गई जन कल्याणकारी योजना का नाम जीवित व्यक्तियों के नाम पर रखने से रोक दिया. कोर्ट ने ऐसी योजनाओं के प्रचार के विज्ञापनों में पूर्व मुख्यमंत्रियों, वैचारिक नेताओं या द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के किसी भी प्रतीक, चिह्न या झंडे के चित्रों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने अन्नाद्रमुक सांसद सी. वी. षणमुगम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था. सांसद ने सरकार के जनसंपर्क कार्यक्रम ‘उंगलुदन स्टालिन’ (आपके साथ, स्टालिन) के नामकरण और प्रचार को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि यह स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करता है.
पीठ ने स्पष्ट किया था कि आदेश राज्य को किसी भी कल्याणकारी योजना को शुरू करने, लागू करने या संचालित करने से नहीं रोकता है, लेकिन उसने कहा कि पाबंदियां केवल ऐसी योजनाओं से जुड़े नामकरण और प्रचार सामग्री पर लागू होती हैं.