Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, 15 अप्रैल को सुनवाई कर सकता है. इन याचिकाओं में संसद से पारित कानून को मुस्लिम समुदाय से भेदभाव करने वाला बताया गया है. सोमवार, 7 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की सुनवाई की तारीख तय करने की बात कही थी. अब सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की तरफ से याचिकाकर्ताओं को अनुमानित तारीख 16 अप्रैल बताई गई है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किस बेंच के सामने यह मामला लगेगा. 

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ अब तक यह 15 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं :-

1. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद2. AMIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी3. AAP विधायक अमानतुल्लाह खान4. एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स5. समस्त केरल जमीयतुल उलमा6. मौलाना अरशद मदनी7. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड8. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग9. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया10. अंजुम कादरी11. तैय्यब खान12. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)13. कांग्रेस सांसद इमरान प्रतपगढ़ी14. आरजेडी सांसद मनोज झा15. जेडीयू नेता परवेज़ सिद्दीकी

मुसलमानों से भेदभाव करने वाला कानून: याचिका

इस मामले में अभी और भी कई याचिकाओं के शीर्ष अदालत में दाखिल होने की उम्मीद है. अब तक दाखिल सभी याचिकाओं में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है.

कानून लागू होने पर रोक लगाने की मांग

इन सभी याचिकाओं में कोर्ट से कानून को संविधान के खिलाफ बताते हुए दखल की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने कानून के अमल पर रोक की भी मांग की है. हालांकि आमतौर पर यह देखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट संसद से पारित कानून पर एकतरफा रोक नहीं लगाता. अगर कोर्ट इन याचिकाओं को विचार के योग्य मानेगा, तो वह सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगेगा. इस तरह के मामलों में सरकार के जवाब को देखने के बाद ही कोर्ट कोई आदेश देता है.