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2020 दिल्ली दंगों के 5 आरोपियों की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. इन सभी ने 2 सितंबर को आए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगते हुए 27 अक्टूबर को सुनवाई की बात कही है.

जस्टिस अरविंद कुमार और एन वी अंजारिया की बेंच ने जिन आरोपियों की याचिका पर नोटिस जारी किया है, वह हैं- उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और शिफा उर रहमान. इन लोगों का कहना है कि वह लगभग 5 साल से जेल में बंद हैं.

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फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन को लेकर हुई झड़पों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे. आरोप है कि इन आरोपियों ने दंगे भड़काने की साज़िश रची थी. दिल्ली पुलिस ने इन पर दंगा, अवैध जमावड़ा, आपराधिक साज़िश जैसी आईपीसी की धाराओं के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है. ज़्यादातर आरोपियों पर कई एफआईआर दर्ज हैं.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की. सिंघवी ने कहा कि इनमें से ज़्यादातर लोग छात्र हैं. यह बहुत दुखद है कि उन्हें 5 साल से बंद रखा गया है. सिब्बल ने कहा कि कोर्ट मामले को जल्दी सुने. याचिकाकर्ताओं को दीवाली से पहले बाहर आने का मौका मिले.

ध्यान रहे कि दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने उमर खालिद और शरजील इमाम समेत कुल 9 आरोपियों को जमानत पर रिहा करने से मना किया था. अपने 133 पन्नों के विस्तृत आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन या धरने के नाम पर साज़िश रच कर हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती. शरजील इमाम और उमर खालिद की भूमिका खास तौर पर गंभीर लगती है. दोनों ने सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ भाषण दिए. उनका मकसद मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़े पैमाने पर लामबंद करना था.