लोगों को बैंक, बीमा, म्यूचुअल फंड या पेंशन योजनाओं में फंसी राशि पाने में मदद करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिका की मुख्य मांग ऐसा केंद्रीय पोर्टल शुरू करने की है जिसमें लोग अपने सक्रिय, निष्क्रिय या बिना दावे के पड़े खातों को देख सकें. याचिकाकर्ता ने कहा है कि अपनी बिखरी हुई संपत्तियों की जानकारी मिलने से लोग उन्हें दोबारा हासिल कर सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
याचिकाकर्ता आकाश गोयल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुक्ता गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार और वित्तीय संस्थानों से जवाब मांग लिया. जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने जिन संस्थानों को नोटिस जारी किया है उनमें रिजर्व बैंक, सेबी, बीमा विनियामक प्राधिकरण (IRDAI), राष्ट्रीय बचत संस्थान (NSI), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और पेंशन फंड विनियामक प्राधिकरण (PFRDA) शामिल हैं. कोर्ट ने सभी पक्षों से 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है.
याचिकाकर्ता ने रखे चौंकाने वाले आंकड़े
याचिका में चौंकाने वाले आंकड़े रखे गए हैं. इसके मुताबिक देश भर में 9.22 करोड़ निष्क्रिय बैंक खाते (डोरमेंट बैंक अकाउंट) हैं. इनमें से हर खाते में औसतन 3,918 रुपये की राशि है. उसी तरह 3.5 लाख करोड़ से अधिक की बिना दावे की राशि बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों, भविष्य निधि और लघु बचत योजनाओं में बिखरी हुई हैं.
याचिका में कहा गया है कि इनमें से बड़ी संख्या में पैसे उन लोगों के हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है. उनके कानूनी उत्तराधिकारी इन पैसों के अस्तित्व से अनभिज्ञ हैं. इसका कारण यह है कि वित्तीय संस्थान के पास नॉमिनी (नामांकित व्यक्ति) का विवरण उपलब्ध नहीं है और ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है जिससे लोग खुद ही ऐसी परिसंपत्तियों का पता लगा सकें.
DEAF और IEPF में 1.6 लाख करोड़ से अधिक की राशि
याचिकाकर्ता ने आधार लिंक्ड और ई-केवाईसी पर आधारित सुरक्षित पोर्टल बनाने की मांग की है. इस पोर्टल में लोगों और उनके नामांकित व्यक्तियों के वित्तीय संस्थाओं में मौजूद संपत्तियों की जानकारी को एक जगह डाला जाएगा. याचिका में तीन प्रमुख वैधानिक फंड के बारे में भी बताया है जो बिना दावे वाली धनराशि का प्रबंधन करते हैं :-
1. DEAF - इसमें बैंक में जमा बिना दावे की धनराशि का प्रबंधन किया जाता है2. IEPF - इसमें बिना दावे के शेयर और डिविडेंड रखे जाते हैं3. SCWF - बिना दावे के बीमा और लघु बचत योजनाओं की धनराशि इसमें ट्रांसफर की जाती है
याचिका में कहा गया है कि DEAF और IEPF में 1.6 लाख करोड़ से अधिक की राशि है. यह भारत के स्वास्थ्य बजट का लगभग 3 गुना और शिक्षा बजट का 2 गुना है. इस रकम का उनके वास्तविक हकदारों तक न पहुंचना गलत है.