मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाईड का कचरा नष्ट करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि मामले में पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई है. कचरे को नष्ट करने से पीथमपुर में रेडिएशन का खतरा हो सकता है. अगर रेडिएशन फैलता है, तो उससे प्रभावित लोगों की चिकित्सा की सुविधा भी उस इलाके में नहीं है.
 
इंदौर के रहने वाले चिन्मय मिश्रा नाम के याचिकाकर्ता ने यूनियन कार्बाइड के कचरे को भोपाल से लाकर पीथमपुर में जलाने पर रोक की मांग की है. एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सर्वम रीतम खरे के जरिए दाखिल याचिका की पैरवी वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने की. कामत की बात थोड़ी देर सुनने के बाद जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने मामले पर नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट सोमवार, 24 फरवरी को मामले की सुनवाई की बात कही है.
 
इससे पहले 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह कहते हुए मामले को नहीं सुना था कि वह पहले से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इसे नई जनहित याचिका के तौर पर सुन सकता. इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली थी. अब उसने हाईकोर्ट की तरफ से जारी आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है. इसे स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया है.
 
1984 में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोनेट गैस लीक हुई थी. इससे 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही, हजारों लोग अपंगता, अंधेपन और दूसरी विकृतियों के शिकार हुए थे. यूनियन कार्बाइड का औद्योगिक कचरा 40 साल से वहीं पड़ा है. 3 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 4 सप्ताह में औद्योगिक कचरा भोपाल से डिस्पोजल साइट पर पहुंचाने का आदेश दिया था. इसे लेकर धार जिले के पीथमपुर में कड़ा विरोध हो रहा है.