सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती में अब ओबीसी, दिव्यांग, पूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानी आश्रित को भी आरक्षण मिल सकेगा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स रूल्स, 1961 में आवश्यक बदलाव कर दिया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की तरफ समय-समय पर जारी नियमों, आदेशों और अधिसूचनाओं के अनुसार अपनी नौकरियों में आरक्षण देगा.

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सुप्रीम कोर्ट की स्टाफ भर्ती में OBC आरक्षण का रास्ता साफ

चीफ जस्टिस बी आर गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में बड़े बदलाव हो रहे हैं. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) वर्ग के लिए आरक्षण रोस्टर जारी किया था. 23 जून 2025 से प्रभावी इस व्यवस्था के लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ की सीधी भर्तियों और पदोन्नति में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 15 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 7.5 प्रतिशत पद आरक्षित हो गए थे. केंद्र सरकार की तरफ से 2 जुलाई 1997 को जारी सर्क्युलर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने यहां 28 साल बाद लागू किया. अब बाकी वगों के आरक्षण का भी रास्ता साफ कर दिया गया है.

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3 जुलाई को जारी हुआ गजट नोटिफिकेशन

3 जुलाई को जारी गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट अधिकारी और सेवक (सेवा शर्तें और आचरण) नियम, 1961 में बदलाव कर दिया गया है. संविधान के अनुच्छेद 146 (2) के तहत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने यह संशोधन किया है. इसमें कहा गया है कि एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानी आश्रितों के आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के नियम सुप्रीम कोर्ट में भी लागू किए जा रहे हैं. 

किन पदों के लिए SC में आरक्षण की व्यवस्था?

यहां यह साफ करना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की यह व्यवस्था रजिस्ट्रार, कोर्ट असिस्टेंट, कोर्ट अटेंडेंट, लाइब्रेरियन जैसे कोर्ट के कर्मचारियों और अधिकारियों के पदों के लिए है. यह जजों के लिए लागू नहीं है.