नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार पांच लोगों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया. कोर्ट ने इस मामले में दखल देने और आरोपियों की रिहाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल चार हफ्ते तक हाउस अरेस्ट जारी रहेगी, आरोपी निचली अदालत में राहत की मांग करें. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी की एसआईटी जांच करवाने से भी इनकार कर दिया. बता दें कि पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देश के अलग अलग शहरों से नक्सली कनेक्शन में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था.

सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने आज कहा कि धारणा के आधार पर किसी को रिहा नहीं कर सकते. गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक वजह को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस के पास कुछ तथ्य हैं और पुलिस ने शक्ति का गलत इस्तेमाल नहीं किया. इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुनवाई के दौरान हमारी तरफ से की गई किसी टिप्पणी का असर ना पड़े.

इस साल एक जनवरी को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़की थी. इसकी जांच कर रही पुणे पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इन पर देश को हिंसा में झोंकने की साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया.

इसके खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी का मकसद राजनीतिक है. पुलिस सत्ताधारी पार्टी विरोधी विचारधारा रखने वाले बुद्धिजीवियों को निशाना बना रही है.

इस याचिका को सुनते हुए 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पुलिस को गिरफ्तार लोगों को रिमांड पर लेने से रोक दिया था. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इन लोगों को उनके घर पर ही नजरबंद रखा जाए.