Supreme Court Babri Case: 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे को ढहाए जाने के बाद दाखिल अवमानना याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है. जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता असलम भूरे अब इस दुनिया में नहीं हैं. साथ ही, 2019 में अयोध्या विवाद पर आए फैसले के चलते भी अब इस मामले को बनाए रखना ज़रूरी नहीं. दिवंगत असलम भूरे के वकील एम एम कश्यप ने नए याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी. लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया.


कल्याण सिंह को मिली थी सज़ा


अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने से पहले से सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी उस दौरान कोर्ट भीड़ को अनियंत्रित होने से रोकने को लेकर कई निर्देश दिए थे. कोर्ट ने बाबरी विध्वंस के समय यूपी के सीएम रहे बीजेपी के दिवंगत वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह को अपने निर्देशों का पालन न करने के लिए अवमानना का दोषी माना था. 24 अक्टूबर 1994 को कोर्ट ने कल्याण सिंह को 1 दिन की जेल की सजा का आदेश भी दिया था.


कई नेताओं को मिली राहत


सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में मामले पर खुद संज्ञान लिया था. वहीं याचिकाकर्ता असलम भूरे ने भी यूपी सरकार के अधिकारियों समेत बीजेपी और संघ परिवार के कई बड़े नेताओं के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की थी. इनमें से कई नेता अब इस दुनिया में नहीं हैं. हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी उमा भारती साध्वी ऋतंभरा विनय कटियार जैसे नेता अभी जीवित हैं. इन सब नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहत मिल गई है.


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