'प्राइवेट पार्ट पकड़ना रेप की कोशिश नहीं', HC के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट सख्त; CJI बोले- गाइडलाइन बनाएंगे
Supreme Court: चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां पीड़िताओं को डराती हैं और कई बार शिकायत वापस लेने का दबाव भी बनाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर 2025) को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूना, पायजामे की डोरी तोड़ने को रेप या रेप की कोशिश नहीं माना जाएगा. चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां पीड़िताओं को डराती हैं और कई बार शिकायत वापस लेने का दबाव भी बनाती है.
हाई कोर्ट के लिए गाइडलाइन बनाएगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इन मामलों में टिप्पणियां करने और ऐसे आदेश जारी करने के लिए हाई कोर्ट और निचली अदालतों के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील शोभा गुप्ता ने सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक और रेप केस का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था, उसके साथ जो भी हुआ है वो उसके लिए खुद जिम्मेदार है. चूंकि रात थी. इसके बावजूद वह उसके साथ कमरे में गईं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ वकील शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता और राजस्थान हाई कोर्ट की ओर से किए गए इसी तरह की टिप्पणी का भी जिक्र किया. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर आप इन सभी उदाहरणों का हवाला दे सकते हैं तो हम दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं.
क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला?
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 19 मार्च 2025 को कहा था कि किसी लड़की का प्राइवेट पार्ट पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश में रेप या रेप करने की कोशिश का मामला नहीं बनता है. उन्होंने तब फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को लगी धराएं बदल दी थी. हालांकि फिर 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगी दी थी.
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Source: IOCL





















