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SC On Bulldozer Justice: किसी अधिकारी को नहीं है बेरोकटोक मकान गिराने की इजाज़त, बुलडोजर से डरा कर नहीं दबा सकते लोगों की आवाज : सुप्रीम कोर्ट

निपुण सहगल   |  Gautam Singh   |  09 Nov 2024 11:33 PM (IST)

Supreme Court On Bulldozer Justice: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बुलडोजर जस्टिस की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि मकान गिराने का डर दिखा कर लोगों की आवाज़ को नहीं दबाया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court Criticized  Bulldozer Justice: सड़क चौड़ी करने के लिए मकान गिराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी सामने आ चुकी है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी फैसलों में से एक, इस फैसले में बुलडोजर जस्टिस की कठोर आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि मकान गिराने का डर दिखा कर लोगों की आवाज़ को नहीं दबाया जा सकता.

क्या है मामला?यूपी के महराजगंज में 2019 में मनोज टिबड़ेवाल नाम के व्यक्ति का मकान बिना नोटिस दिए गिराया गया था. 6 नवंबर को इस मामले को सुनते हुए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने यूपी सरकार से याचिकाकर्ता को 25 लाख रु का अंतरिम मुआवजा देने को कहा. साथ ही, राज्य के चीफ सेक्रेटरी से पूरे मामले की विभागीय जांच और कार्रवाई के लिए भी कहा.

दिशानिर्देश बना कर सभी राज्यों से पालन को कहाकोर्ट ने यह भी कहा कि सड़क के विस्तार से पहले सर्वे होना चाहिए. यह देखा जाना चहिए कि उसकी मौजूदा चौड़ाई क्या है और उसमें कितने विस्तार की ज़रूरत है. जिनका मकान विस्तार के दायरे में आ रहा है, उन्हें नोटिस देना चाहिए. उनका पक्ष सुनने के बाद नियमों के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस आदेश की कॉपी सभी राज्यों को भेजने का भी निर्देश दिया. कहा- सभी राज्य सड़क विस्तार से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करें.

'संपत्ति एक संवैधानिक अधिकार है'- SCअब सामने आए विस्तृत फैसले में कोर्ट ने बुलडोजर न्याय को अस्वीकार्य कहा है. फैसले में लिखा है, "बुलडोजर जस्टिस को बिल्कुल मंज़ूर नहीं किया जा सकता. अगर इसको अनुमति दी गई तो अनुच्छेद 300A के तहत दिया गया संवैधानिक अधिकार निरर्थक हो जाएगा."

'नहीं दबा सकते लोगों की आवाज़'- SCसुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि याचिकाकर्ता का मकान का बहुत कम हिस्सा सड़क के दायरे में था. लेकिन उससे व्यक्तिगत चिढ़ की वजह से प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने पूरा मकान गिरा दिया. अब कोर्ट ने कहा है, "किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था में बुलडोजर से न्याय की कोई जगह नहीं है. यह बहुत खतरनाक होगा कि सरकारी अधिकारियों को बेरोकटोक लोगों का मकान गिराने दिया जाए. यह बहुत आसानी से चुनिंदा संपत्तियों को गिराने में तब्दील हो जाएगा, जिसके पीछे कारण कुछ और ही होगा."

इसके आगे कोर्ट ने लिखा है, "संपत्ति गिराने का डर दिखा कर नागरिकों की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता. घर हर व्यक्ति की एक बुनियादी ज़रूरत है. इसे गैरकानूनी तरीके से नहीं छीना जाना चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं कि कानून सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे या अतिक्रमण की इजाज़त नहीं देता. लेकिन कार्रवाई कानून के दायरे में ही होनी चाहिए.

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Published at: 09 Nov 2024 11:33 PM (IST)
Tags: chief justice DY Chandrachud Bulldozer SUPREME COURT
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