सोशल मीडिया से किसी पोस्ट को बिना नोटिस हटाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने सरकार की उस शक्ति को चुनौती दी है जिसके तहत वह किसी पोस्ट को भ्रामक या आपत्तिजनक बता कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उसे हटाने के लिए कह सकती है. याचिका में मांग की गई है कि पोस्ट करने वाले का पक्ष सुने बिना यह नहीं किया जाना चाहिए.
सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर नाम की संस्था की याचिका में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (प्रोसीजर एंड सेफगार्ड फॉर ब्लॉकिंग ऑफ इन्फॉर्मेशन) रूल्स, 2009 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है. सुनवाई की शुरुआत में 2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई ने कहा, 'किसी ऐसे व्यक्ति को यह याचिका दाखिल करनी चाहिए थी, जिसकी पोस्ट को सोशल मीडिया से सरकार ने हटवा दिया है. एक संस्था ने यह याचिका क्यों दाखिल की है? वैसे भी सोशल मीडिया पर कई नकली हैंडल मौजूद हैं, उन्हें नोटिस देकर जवाब का इंतजार करने के लिए सरकार को क्यों कहा जाए?'
इस पर याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, 'हमारी मांग गुमनाम या नकली लोगों के लिए नहीं है. जो लोग अपनी वास्तविक पहचान के साथ सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए. सरकार एकतरफा आदेश देकर किसी पोस्ट को हटवा दे, यह सही नहीं कहा जा सकता. ' इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि वह इस बात से प्राथमिक रूप से सहमत हैं. इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कह दिया.
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