लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी. बुधवार, 15 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने वांगचुक को अपनी पत्नी को लिखित नोट्स देने की अनुमति दी. इन नोट्स में वांगचुक ने अपनी हिरासत को चुनौती देने के आधार लिखे हैं.

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लद्दाख में हुई हिंसा के बाद सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को हिरासत में लिया गया था. वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने याचिका दाखिल कर NSA के तहत उनकी हिरासत को अवैध बताया है. 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल अधीक्षक से जवाब दाखिल करने को कहा था. 

बुधवार को जस्टिस अरविंद कुमार और एन वी अंजारिया की बेंच ने मामला सुना. गीतांजलि की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वांगचुक ने अपनी हिरासत को चुनौती देने के लिए कुछ नोट्स तैयार किए हैं. वह उनकी पत्नी या वकील को दिए जाएं. केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है.

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सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वांगचुक को हिरासत के तुरंत बाद डिटेंशन ऑर्डर दे दिया गया था इसलिए, उनकी पत्नी को हिरासत का आधार उपलब्ध करवाने में हुई देरी को चुनौती का आधार न बनने दिया जाए. इस पर सिब्बल ने कहा कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है. वह दूसरे कानूनी आधारों पर बहस करेंगे.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक मामले में लेह के जिला अधिकारी और जोधपुर जेल प्रशासन ने जवाब दाखिल किया है. लेह के डीएम ने कहा है कि वांगचुक की गिरफ्तारी कानूनन सही है. इसके लिए संतोषजनक आधार मौजूद थे. उनकी गतिविधियां सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली थीं. वहीं, जोधपुर जेल प्रशासन ने कहा है कि वांगचुक के साथ जेल में अलग तरह का व्यवहार नहीं किया जा रहा. उन्हें बाकी बंदियों से अलग एक कमरे में रखा गया है. लेकिन उन्हें दूसरे बंदियों जैसे ही अधिकार दिए गए हैं. उनकी मांग पर उन्हें नोट्स बनाने के लिए लैपटॉप भी उपलब्ध करवाया गया.

क्या है मामला?मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरण वैज्ञानिक सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख के आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं. यह आंदोलन लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग से जुड़ा है. आंदोलन ने पिछले दिनों उग्र रूप ले लिया. लद्दाख प्रशासन ने सोनम पर विदेशी शक्तियों के लिए काम करने का आरोप लगाया. 26 सितंबर को उन्हें हिरासत में लेकर राजस्थान की जोधपुर जेल भेज दिया गया. उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से संपर्क रखने, विदेशों से अवैध चंदा लेने समेत कई आरोप हैं.