सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना से मौत का मुआवजा पाने के लिए झूठे दावे दाखिल किए जाने के आरोपों की जांच की अनुमति दी है. इसके तहत आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और केरल में दाखिल हुए 5 प्रतिशत दावों की समीक्षा की जाएगी. इन चार राज्यों में मुआवजे के लिए किए जाने वाले दावों और कोरोना से मौत के आधिकारिक आंकड़े में सबसे ज्यादा अंतर देखा गया. 

कोर्ट ने 28 मार्च तक होने वाली मौत के मुआवजे का दावा करने के लिए मियाद भी तय कर दी है. अदालत ने इसके लिए समय सीमा 60 दिन का रखा है. भविष्य में होने वाली मौत का मुआवजा पाने के लिए दावा भी 90 दिन के भीतर करना होगा. 

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए थे कि वह कोरोना से मौत का मुआवजा पाने के लिए झूठे दावे दाखिल किए जाने के आरोपों की जांच करवाएगा. केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि कोरोना से मौत के आधिकारिक आंकड़े और मुआवजा पाने के लिए दाखिल हुए आवेदन की संख्या में काफी अंतर है. केंद्र सरकार ने मांग की थी कि मामले में ऑडिट या किसी और तरीके से जांच की जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल यह आदेश दिया था कि पूरे देश में कोरोना वायरस से मरने वालों के परिवार को 50 हज़ार रुपये का मुआवजा दिया जाए. कोर्ट ने कहा था कि यह मुआवजा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) को देना होगा.

पिछली सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट में यह आशंका जताई थी कि मुआवजा पाने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया.लोगों ने कोरोना से मौत का झूठा मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करवा कर मुआवजे के लिए आवेदन दिया और उन्हें भुगतान भी हो गया. केंद्र सरकार ने इसकी जांच के अलावा यह मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट भविष्य में दाखिल होने वाले आवेदनों की समय सीमा भी तय करे.

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