Corbevax Vaccine: कुछ देशों में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से इजाफे के बाद भारत में नयी कोविड लहर की आशंकाओं को लेकर चिंता के बीच हैदराबाद स्थित एआईजी हॉस्पिटल्स ने एक वैज्ञानिक अध्ययन के परिणाम जारी किये हैं. इस स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट से लड़ने में स्वदेश निर्मित हीटीरोलोगस बूस्टर वैक्सीन कोर्बेवैक्स से इम्यूनिटी को बढ़ाने की क्षमता देखी गई है और ये वैक्सीन काफी लाभकारी साबित हुई है. 


हीटीरोलोगस बूस्टर वैक्सीन वह होता है जिसे पहले किसी अन्य वैक्सीन की प्राथमिक खुराक के बाद लगाया जाता है. हैदराबाद के एआईजी हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष और इस बूस्टर डोज को लेकर की गई स्टडी में शामिल डॉक्टर डी नागेश्वर रेड्डी ने इसकी स्टडी के प्रमुख पहलुओं की व्याख्या की है. उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह अध्ययन उन 250 स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया था, जिन्होंने छह महीने की अंतराल में कोरोना के प्राथमिक टीके के रूप में कोविशील्ड की दो खुराक लगवाई हैं.


ओमिक्रोन से लड़ने में बेहद कारगर है कोर्बेवैक्स


डॉ रेड्डी ने कहा, ‘‘इस स्टडी में यह देखना था कि इस तरह के कॉम्बिनेशन का प्रयोग करने बाद कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट से कितनी सुरक्षा मिल सकती है. इस परीक्षण के बाद हमें यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जिन 250 प्रतिभागियों में इस कॉम्बिनेशन का प्रयोग किया गया उनमें से एक को भी कोर्बेवैक्स बूस्टर खुराक लगने के बाद किसी तरह का दुष्प्रभाव सामने नहीं आया. इससे हमारा यह विश्वास पुख्ता हुआ कि इस कॉम्बिनेशन वाली वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं.’’


स्टडी में अच्छे मिले हैं परिणाम


विज्ञप्ति के अनुसार इस स्टडी का दूसरा पहलू 30 दिन और फिर 90 दिन पर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया तथा टी-सैल (स्मृति कोशिका) प्रतिक्रिया का आंकलन करना था, ताकि ओमिक्रोन स्वरूप के खिलाफ सुरक्षा का सटीक अनुमान लगाया जा सके. इसमें कहा गया कि कोर्बेवैक्स ने बूस्टर खुराक के रूप में 30 दिन और 90 दिन दोनों स्तर पर एंटीबॉडी का उच्च स्तर प्रदर्शित किया, जिससे पता चलता है कि ये पूरी तरह से कामयाब रहा है. इस अध्ययन का प्रकाशन ‘वैक्सीन्स’ पत्रिका में किया गया है. इसमें बताया गया कि 250 प्रतिभागियों में से 10 लोग बूस्टर खुराक लेने के 30 दिन के बाद कोविड संक्रमित हुए.


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