INS Dunagiri Latest Update: नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) अगर आज हमारे बीच होते तो भारत के स्वदेशी युद्धपोत (Indigenous Warship) और पनडुब्बियां देखकर निश्चित रुप से गर्व से भर उठते. नेताजी ने जर्मनी से सुमात्रा तक की 90 दिन की यात्रा जर्मनी और जापान की पनडुब्बी से की थी. ये कहना है देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का, जिन्होंने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता (Kolkata) में भारतीय नौसेना (Indian Navy) के स्वदेशी जहाज, आईएनएस दूनागिरी (INS Dunagiri) को हुगली नदी में लॉन्च किया. 

दूनागिरी वॉरशिप के लॉन्चिंग के वक्त रक्षामंत्री (Defence Minister) ने कहा कि यह हमारी नौसेना की विजनरी एप्रोच ही थी, जिसके चलते 60 के दशक से ही इन-हाउस शिप डिजाइन संस्था को स्थापित कर लिया गया था. राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि बायर्स-नेवी से बिल्डर्स-नेवी तक का सफर भारतीय नौसेना का एक अहम पड़ाव है और आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से प्रगति कर रही है. 

41 वॉरशिप और पनडुब्बियों का निर्माण कार्य जारी

इस मौके पर बोलते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बताया कि इस वक्त भारतीय नौसेना के जो 1.75 लाख करोड़ के रक्षा सौदे हैं, उनमें से 88 प्रतिशत स्वदेशी उपक्रमों को दिए गए हैं. आपको बता दे कि इस वक्त भारतीय नौसेना के 41 युद्धपोत और पनडुब्बियां का निर्माण-कार्य जारी है. इनमें से 39 स्वदेशी शिपयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं. मात्र दो (02) युद्धपोत ऐसे हैं, जिनका निर्माण-कार्य रूस में चल रहा है.  

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दूनागिरी प्रोजेक्ट-17ए का चौथा युद्धपोत

आईएनएस दूनागिरी प्रोजेक्ट-17ए का चौथा युद्धपोत है, जिसे शुक्रवार को लॉन्च किया गया. उत्तराखंड की एक चोटी के नाम पर रखे गए इस युद्धपोत का निर्माण कोलकता स्थित गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स यानि जीआरएसई शिपयार्ड ने किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत नौसेना के लिए कुल सात (07) नीलगिरी क्लास फ्रीगेट (युद्धपोत) बनाए जाने हैं. इनमें से चार मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं और बाकी तीन जीआरएसई में. मझगांव डॉकयार्ड पहले ही इस क्लास के दो युद्धपोत समंदर में लॉन्च कर चुका है. पिछले महीने ही इस क्लास का तीसरा युद्धपोत उदयगिरी लॉन्च किया गया था. जीआरएसई का ये दूसरा युद्धपोत है. ये सभी सातों युद्धपोत देश की अलग-अलग पर्वत-श्रृंखला के नाम पर रखे गए हैं. 

आत्मनिर्भर भारत की एक अहम पहचान

नौसेना के मुताबिक बाकी नीलगिरी क्लास युद्धपोत की तरह ही दूनागिरी भी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक अहम पहचान है. इस युद्धपोत में 75 प्रतिशत हथियार, उपकरण और सिस्टम स्वदेशी हैं. इन सभी युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया है. दूनागिरी सहित प्रोजेक्ट 17ए के सभी फ्रीगेट शिवालिक क्लास (प्रोजेक्ट-17) के युद्धपोतों का फॉलो-ऑन हैं. सभी में पहले वालों से बेहतर स्टेल्थ फीचर्स, एडवांस वैपन, सेंसर्स और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं. 

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शुक्रवार को जो दूनागिरी युद्धपोत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लॉन्च किया, ये नौसेना के ही पुराने दूनागिरी एएसडब्लू फ्रीगेट का अवतार है. पुराना फ्रीगेट 33 साल की सेवाएं पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था. उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है. दरअसल, भारतीय नौसेना की ये परंपरा है कि रिटायर (डि-कमीशन) युद्धपोत के नाम पर ही नए जंगी जहाज का नाम रखा जाता है.