Koregaon-Bhima Violence Case: कोरेगांव-भीमा मामले में 2020 से जेल में बंद 70 वर्षीय कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) को शनिवार (19 नवंबर) को रिहा कर दिया गया. वह नवी मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद थे. हालांकि, गौतम नवलखा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार घर में नजरबंद रहेंगे. नवलखा नवी मुंबई (Mumbai) में एक घर में रहेंगे. वहीं, एनआईए (NIA) ने उनकी टीम के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी कि वह एक सीपीएम कार्यालय में रहते हैं.


दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा एक जनवरी को महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा में हिंसा से संबंधित एक मामले में अप्रैल 2020 से जेल में है. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. ये हिंसा एक एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए जाने के एक दिन बाद हुई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन माओवादियों द्वारा समर्थित था.


हाउस अरेस्ट रहेंगे गौतम नवलखा


पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि नवलखा को 48 घंटे के भीतर हाउस अरेस्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए, लेकिन रिहाई में देरी हुई, जिस पर अदालत ने कल (18 नवंबर) एक सुनवाई में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और एनआईए पर देरी करने का आरोप लगाया. नवलखा के आतंकवादी लिंक के मद्देनजर सुरक्षा के बारे में चिंता जताते हुए आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले को संशोधित करने के लिए कहा था. 


NIA पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी


अदालत (Supreme Court) ने सवाल किया था कि क्या पुलिस (Police) बीमार 70 वर्षीय व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकती है? वहीं, जब एनआईए ने सोमवार तक का समय मांगा तो न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा, "आपको लगता है कि हम मामले में देरी करने के प्रयासों को नहीं देख सकते हैं? हेल्थ के आधार पर नवलखा की अपील के बाद अदालत (Court) ने एनआईए (NIA) के तर्क को खारिज करते हुए अपने आदेश को दोहराया था कि उन्होंने अपने स्वास्थ्य के बारे में अदालत को जानबूझकर गुमराह किया था.


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