देश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है. हर रोज कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है. वहीं कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनने और समय-समय पर हाथ धोने को काफी अहम माना गया है. हाथ धोने के लिए हैंडवॉश, साबुन और सैनिटाइजर का इस्तेमाल आम है. हालांकि लोगों के जहन में ये सवाल भी रहता है कि आखिरी सैनिटाइजर ज्यादा बेहतर है या साबुन ज्यादा असरदार है.


त्वचा विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हैंड सैनिटाइजर का उपयोग अच्छा है लेकिन जहां भी संभव हो इसकी बजाय साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के त्वचा विशेषज्ञ डॉ. कबीर सरदाना के मुताबिक वे उन रोगियों की जांच कर चुके हैं जिनकी हाथ की त्वचा एल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से सफेद पड़ गई है.


कबीर सरदाना का कहना है कि रोगियों में एक 40 वर्षीय व्यक्ति भी था, जिसे दोनों हाथों की उंगलियों के बीच त्वचा से जुड़े घावों का सामना करना पड़ा. वहीं रोगी की त्वचा का सफेद होना उसके हाथों तक ही सीमित था. शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर ऐसी समस्या नहीं थी. जिसके बाद रोगी से पूछा कि वो हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कितनी बार करता है.


डॉ. सरदाना के मुताबिक रोगी ने बताया कि वह कोरोना वायरस की इस महामारी के कारण बीते दो महीने से लगातार एल्कोहल आधारिक सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहा था. सैनिटाइजर के इस्तेमाल के थोड़े दिन बाद ही त्वचा पर खुजली के साथ ही त्वचा का रंग हल्का लाल भी हो गया लेकिन इसके बाद भी रोगी ने सैनिटाइजर का इस्तेमाल जारी रखा. जिसके बाद रोगी के हाथ सफेद पड़ने लगे.


साबुन से हाथ धोने की सलाह


डॉक्टर ने कहा कि उस रोगी को सैनिटाइजर की जगह साबुन से हाथ धोने की सलाह दी गई. वहीं आठ हफ्ते बाद जब दोबारा रोगी की जांच की गई तो उसके हाथों की सफेदता में न तो इजाफा हुआ और न ही सफेदता कम हुई. डॉक्टर ने बताया कि सैनिटाइजर से त्वचा की एलर्जी और जलन काफी रोगियों में देखने को मिली है. ऐसे में त्वचा रोगों से बचने के लिए सैनिटाइजर की जगह साबुन से हाथ धोने को प्राथमिकता दी जाती है.


(रिपोर्ट: टाइम्स ऑफ इंडिया)