चंडीगढ़: पंजाब में आतंकवादी जिस पुलिस अफ़सर के नाम से कांपते थे, आज वो खुद पंजाब पुलिस से छुपता फिर रहा है. पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने 29 साल पुराने बलवंत सिंह मुलतानी अपहरण और हत्या के केस में अग्रिम ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत ना मिलने के बाद पूर्व डीजीपी अंडरग्राउंड हैं. पंजाब पुलिस की छह टीमें गिरफ़्तारी वारंट लेकर उनको चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली में ढूंढ रही है. 1982 बैच के IPS सुमेध सैनी को 2012 में यंगेस्ट डीजीपी के तौर पर पंजाब पुलिस की कमान सौंपी गई थी. बादल राज में साढ़े तीन साल तक डीजीपी रहने के बाद सुमेध सैनी जून 2018 में रिटायर हुए थे.


क्या है बलवंत सिंह मुलतानी केस
1991 में सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 29 अगस्त 1991 को उग्रवादियों ने सैनी के क़ाफ़िले को रिमोट कोंट्रोल्ड बम से उड़ा दिया. सैनी की सुरक्षा में तैनात तीन पुलिसकर्मी शहीद हुए और कई अंगहीन हो गये. सैनी धमाके का शिकार हुई बुलेटप्रूफ़ एम्बेसडर कार में सवार थे और बाल-बाल बचे थे.


इस धमाके की जांच में चंडीगढ़ पुलिस ने मोहाली के बलवंत सिंह मुलतानी को गिरफ़्तार किया था. अदालत से रिमांड लेने के बाद पुलिस रिकॉर्ड में मुलतानी को पंजाब के गुरदासपुर से भगौड़ा करार दिया गया था.


आतंकवाद के दौर में सैनी की छवि का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि चंडीगढ़ के एसएसपी की पोस्ट यूटी काडर के आईपीएस अफ़सर के लिए आरक्षित होती थी. पंजाब और चंडीगढ़ में आतंकी गतिविधियां चरम पर थीं, इसलिए सुमेध सिंह सैनी पंजाब के पहले आईपीएस अफ़सर थे, जिनको पंजाब काडर से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का एसएसपी नियुक्त किया गया. आज तक यह पोस्ट पंजाब काडर के पास ही है.


29 साल बाद FIR क्यों ?
इसी साल मई महीने में मोहाली पुलिस ने बलवंत सिंह मुलतानी के भाई की शिकायत पर 1991 के घटनाक्रम में अपहरण की FIR दर्ज की. तत्कालीन एसएसपी सैनी, एसपी बलदेव सिंह, सब-इन्स्पेक्टर सतबीर सिंह, जगीर सिंह, अनोख सिंह, हर सहाय शर्मा और कुलदीप सिंह को आरोपी बनाया. मोहाली कोर्ट ने सैनी को अग्रिम ज़मानत दे दी. पंजाब पुलिस की SIT ने दो सह अभियुक्तों जगीर सिंह और कुलदीप सिंह को सरकारी गवाह बनाकर अपहरण के केस में हत्या की धाराएं जोड़ दीं. सरकारी गवाहों का आरोप है कि पुलिस रिमांड में टॉर्चर से बलवंत मुलतानी की मौत हो गई थी. हत्या के मामले में पहले मोहाली कोर्ट और फिर हाईकोर्ट से सैनी की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज हो चुकी है. 29 साल पुराने केस में एसआईटी पूर्व डीजीपी को गिरफ़्तार करने के लिए रोज़ छापेमारी कर रही है, पर वो नहीं मिल रहे.


FIR या राजनीतिक बदला ?
सुमेध सिंह सैनी वही पुलिस अफ़सर हैं, जिन्होंने 2007 में सीएम अमरिंदर सिंह, उनके बेटे रनिंदर सिंह और क़रीबियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए थे. 2007 में अमरिंदर सिंह की सत्ता जाने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने सीएम बनते ही सुमेध सिंह सैनी को विजिलेंस महकमे का चीफ़ डायरेक्टर नियुक्त किया था. सैनी ने 1500 करोड़ के लुधियाना सिटी सेंटर स्कैम और अमृतसर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट लैंड स्कैम में अमरिंदर सिंह को चार्जशीट किया था. रनिंन्द्र की शेल कम्पनियों और अमरिंदर के कई क़रीबियों पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज कर सैनी ने कड़ी पूछताछ की थी.


2017 में अमरिंदर सिंह दोबारा पंजाब के मुख्यमंत्री बनें तो विजिलेंस विभाग ने उनके ख़िलाफ़ लुधियाना कोर्ट में चल रहे सिटी सेंटर स्कैम का केस बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की, तो सैनी ने उसका भी विरोध किया. सैनी के वकील ने अदालत में कहा था कि सीएम के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का केस बंद करने से पहले एक बार सैनी को भी सुना जाए.


ऐसा नहीं है कि सैनी अमरिंदर सिंह की गुड बुक में नहीं रहे. 2002 में अमरिंदर सिंह जब पहली बार पंजाब के सीएम बने थे, तब रिश्वत लेकर पंजाब में बंटी सरकारी नौकरियां बड़ा मुद्दा था. अमरिंदर सिंह ने इसकी जांच तत्कालीन IG इंटेलीजेंस सुमेध सैनी को ही सौंपी थी. पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन के चेयरमैन रवि सिद्धू की गिरफ़्तारी और नोटों से भरे लॉकर सैनी ने ही पकड़े थे.


क्या कट्टरपंथीं वोट बैंक को खुश करने की कोशिश ?
सैनी के वकीलों का आरोप है कि कैप्टन सरकार राजनीतिक द्वेष की भावना से काम कर रही है. सैनी को 29 साल पुराने केस में खामखा उलझाया गया है. 2007 में भी पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने यह केस CBI को सौंपा था. सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में सीबीआई की FIR को ही ख़ारिज कर दिया था. वही केस कैप्टन सरकार ने नौ साल बाद फिर दर्ज कर लिया. सह अभियुक्तों को एक झूठे केस में फंसाकर सरकारी गवाह बनाया गया है.


आतंकवाद के दौर में सैनी के काम को लेकर कट्टरपंथी सवाल उठाते थे, सरकार अब एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है. पूर्व डीजीपी सैनी का केस पंजाब का बड़ा सियासी मुद्दा बन चुका है. सैनी की गिरफ़्तारी से कैप्टन सरकार के कई मुद्दे गौण हो जाएंगे इसीलिए सैनी ने इसका अंदेशा रिटायर होते ही जताया था. सैनी ने हाई कोर्ट में एक पिटिशन दायर कर कहा था कि मौजूदा सरकार उनसे बदला लेने के लिए कोई भी केस दर्ज कर सकती है अगर ऐसा होता है तो उन पर लगने वाले आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए या फिर किसी दूसरे राज्य की पुलिस से.


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