वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी दर्शन-पूजा पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देवता को विश्राम नहीं करने दिया जा रहा. जब आम श्रद्धालु दर्शन नहीं कर सकते, उस समय मोटी फीस देने वालों के लिए विशेष पूजा का आयोजन होता है.

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मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचौली की बेंच मंदिर के सेवायतों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कोर्ट की तरफ से नियुक्त कमेटी के निर्देश का विरोध किया है. कमेटी ने आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का समय बढ़ाने को कहा है. हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई के अंत में हाई पावर्ड कमेटी को नोटिस जारी कर दिया. जनवरी में मामले की सुनवाई होगी.

याचिका में श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती दी गई है. मंदिर के सेवाधिकारी का कहना है कि मंदिर का प्रबंधन साल 1939 में बनी एक विशेष योजना के तहत होता आया है और उस पर सरकार का अधिकार नहीं है.

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि दर्शन की टाइमिंग में बदलाव किया गया है, जो मंदिर के अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है. इस पर सीजेआई सूर्यकांत ने पूछा कि अगर दर्शन की टाइमिंग बढ़ा दी गई तो इसमें परेशानी की क्या बात है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर दर्शन की टाइमिंग में बदलाव किया जाता है तो उसका मतलब है मंदिर के अंदर अनुष्ठानों में भी बदलाव, जिनमें देवताओं का आराम करना भी शामिल है. 

सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, 'दिन में 12 बजे मंदिर बंद होने के बाद ये देवता को एक मिनट के लिए भी विश्राम नहीं करने देते हैं. उस समय सबसे ज्यादा उन्हें परेशान किया जाता है और मोटी फीस लेकर धनी लोगों के लिए स्पेशल पूजा करवाई जाती है. इस दौरान उन लोगों को आमंत्रित किया जाता है, जो मोटी रकम दे सकते हैं और उनके लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.'

एडवोकेट श्याम दीवान ने सीजेआई से कहा कि आपकी आशंकाएं सही हैं, लेकिन वह एक अलग मुद्दा है. सीजेआई ने कहा, 'दूसरी बात ये कि दैनिक पूजा की प्रथा को समाप्त करना... मान लो कि ऑरिजनल टाइमिंग में 10-15 हजार भक्तों की कमी आती है, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ेगा?' एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि हम भगदड़ जैसी स्थिति नहीं चाहते हैं. भक्तों की संख्या पर कंट्रोल करने की जरूरत है. खैर वो एक अलग मुद्दा है.

उन्होंने एक और मुद्दा उठाया और कहा कि देहरी पूजा भगवान के चरणों में एक विशेष स्थान पर की जाती है, लेकिन अब उसे बंद कर दिया गया है. उन्होंने सुझाव दिया कि गुरु और शिष्य के बीच होने वाली देहरी पूजा को बंद नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हम मंदिर प्रबंधन को पक्षकार बनाते हैं. मथुरा के डस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के माध्यम से हाई पावर्ड कमेटी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा जाए.

 

(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)

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