पूर्व मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की तरफ जूता फेंकने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव मांगा है कि कैसे भविष्य में ऐसी घटनाओं को होने से रोका जाए. बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) से इस संबंध में सुझाव देने को कहा है.

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कोर्ट एससीबीए की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें एससीबीए के अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने पूर्व सीजेआई की तरफ जूता उछालने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की अपील की थी. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि जस्टिस गवई ने खुद भी इस मामले को नहीं बढ़ाया और अब राकेश किशोर को अवमानना का नोटिस जारी किया जाना उसे बेवजह महत्व देना और मामले को बढ़ाना है. 

कोर्ट ने कहा था कि हमें ऐसे उपायों पर ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए मीडिया में ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के सुझाव भी मांगे.

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केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए. बेंच ने तुषार मेहता और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह से इस संबंध में दिशा-निर्देश तय करने के लिए सुझाव देने को कहा है. सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, 'तुषार मेहता और एससीबीए अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से कहा है कि वह भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों और ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग और प्रसारण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर संयुक्त सुझाव पेश करेंगे.'

राकेश किशोर ने छह अक्टूबर को कोर्ट की कार्यवाही के दौरान पूर्व सीजेआई गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी. इस दौरान उसने नारेबाजी भी की थी. जब उसे कोर्टरूम से बाहर ले जाया गया तो वह कह रहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान. जस्टिस सूर्यकांत ने 12 नवंबर को एससीबीए की ओर से उपस्थित वकीलों से कहा था कि वे अपने सुझाव दें, क्योंकि कोर्ट इस संबंध में देशभर में दिशानिर्देश तैयार करने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा था, 'अदालत परिसर और बार कक्ष जैसे स्थानों पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तीन-चार सुझाव देने के बारे में सोचिए. आप सभी कृपया सुझाव दीजिए.'

वकील किशोर के इस कृत्य के कारण ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ (BCI) ने उसका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की निंदा करते हुए  जस्टिस गवई से बात की थी.

 

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