नई दिल्ली: एएमयू में मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर का विवाद अब प्रधामनमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र भी पहुंच गया है. शनिवार को वाराणसी के अर्दली बाजार में अब शिव सैनिकों ने मोहम्मद अली जिन्ना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. इस दौरान शिव सैनिकों ने एक घोषणा भी की है. शिवसेना इकाई ने जिन्ना का पास्टर हटाने वाले को 5 लाख रुपये बतौर इनाम देने की घोषणा की है.

जिन्ना को तवज्जो देना ठीक नहीं: अजय चौबे

शिवसेना के उप-राज्य प्रमुख अजय चौबे ने कहा कि आज भी पाकिस्तान बॉर्डर पर गोलीबारी कर रहा है और जवानों के सिर काट रहा है. इसी पाकिस्तान को भारत से अलग कर बसाने में जिन्ना ने अहम भूमिका निभाई थी. जिन्ना वास्तव में एक खलनायक है, जिसे तवज्जो दिया जाना ठीक नहीं है.

अजय चौबे ने बताया कि जिन्ना की फ़ोटो हटाये जाने को लेकर शिवसेना ने 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है. शिवसेना के कार्यकर्ता इस पोस्टर को शहर के कई इलाकों में दीवारों और ऑटो पर लगा रहे हैं. शिवसेना ने एएमयू प्रशासन पर जिन्ना का महिमा-मंडन करने के लिए मुकदमा दर्ज करने की मांग की. शिवसैनिकों का कहना है कि खलनायक को हीरो बताकर एएमयू प्रशासन देशद्रोह का काम कर रहा है.

ऐसे शुरू हुआ था विवाद

दरअसल, कैंपस में विवाद की शुरुआत बीजेपी के सांसद सतीश कुमार गौतम की ओर से वाइस-चांसलर को लिखे गए एक चिट्ठी से हुई. सांसद ने लिखा कि उन्हें पता चला है कि यूनिवर्सिटी के यूनियन-हॉल में जिन्ना की तस्वीर लगी है और ये कैसे हो सकता है कि जिसने विभाजन कराया, उसकी तस्वीर यूनिवर्सिटी लगाए. इसे लेकर हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. जिन्ना का पुतला फूंका गया. छात्र-संघ के सदस्यों और हिंदू-संगठन के सदस्यों में झड़पें हुईं. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भी झड़प हुई. इसके बाद पुलिस ने बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान एक दर्जन से अधिक छात्र घायल भी हुए.