मुंबईः कन्हैया कुमार को निशाने पर रखते हुए शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है. अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने बीजेपी से पूछा है कि वह किस मुंह से कन्हैया कुमार का विरोध करेगी? लेख के जरिए कहा गया है कि बीजेपी खुद अफजल गुरू को शहीद ठहराने और स्वतंत्रता सेनानी मानने वाली महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन करके सरकार बना चुकी है. इस लेख के जरिए शिवसेना ने बीजेपी को सलाह भी दिया और कहा कि वह किसी भी तरह से कन्हैया कुमार के देशद्रोह मामले का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश ना करे.

शिवसेना ने सामना में क्या कहा?

शिवसेना ने कहा कि कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का चार्जशिट दाखिल होने के बाद कुछ लोगों में हलचल मच गई है. जेएनयू कैंपस में संसद पर हमला करनेवाले अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के विरोध में सभा का आयोजन किया गया था. अफजल गुरू के समर्थन में नारेबाजी की गई थी. वो दिन गुरू के स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया. ये सब देशद्रोही काम है.

शिवसेना ने कहा, ''कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और अन्य दस लोगों पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. इन सभी की बाद में गिरफ्तारी हुई और आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात पुलिस कह रही है. यदि यह सबूत पक्का होगा तो कन्हैया कुमार के समर्थन में खड़े हर एक का चेहरा बेनकाब होना चाहिए.''

शिवसेना ने कहा कि बारह सौ पन्नों का आरोप पत्र है और उसमें अनेक देश विरोधी नारे और भाषणों का समावेश है. ''भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह, कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी या भारत मुल्क को एक झटका और दो इस तरह के उन्मत्त पूर्ण नारों का फिल्मांकन हुआ है. हिंदुस्थानी फौज के खिलाफ भी नारे लगाए गए हैं. उसकी तीखी प्रतिक्रिया देश में हुई.''

जेएनयू में नहीं बचा है शैक्षणिक माहौल

लेख में जिक्र किया गया है, ''जेएनयू में माओवादी, नक्सलवादी, कश्मीर आजादीवालों का अड्डा है. मोदी और उनके बीजेपी ने भले ही देश जीता पर वहां अपना झंडा लहरा नहीं पाए. वहां के छात्र संगठन के चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की हमेशा ही बुरी तरह हार होती है. देश विरोधी नारा देनेवाले मुट्ठीभर आंदोलनकारियों को वे संभाल नहीं पाते और पराजित नहीं कर पाते. इसका अर्थ है कि इस विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल नहीं बचा है और उसे देशद्रोही आंदोलनकारियों की दीमक लग गई है क्या? शिवसेना ने कहा कि जेएनयू में 'ईवीएम' के जरिए मतदान नहीं होता इसलिए वहां जीत हासिल करना मुश्किल हो गया है क्या?''

शिवसेना लिखा है, हमारी मांग है कि गिरीश महाजन जैसे करतबी बीजेपी मंत्री को 'जेएनयू' में रहने को भेजें और देशद्रोहियों को हराएं.'' बता दें कि हाल ही में गिरीश महाजन ने कहा था कि पार्टी मुझे कहीं भी भेजो मैं जादू दिखाऊंगा. बीजेपी को जीत दिलाकर रहूंगा.

लेख में कहा गया है कि देशद्रोह का आरोप लगाए जाने के कारण जो तथाकथित वैचारिक और वैचारिक स्वतंत्रता वाले छाती पीट रहे हैं उनके खून की जांच की जानी चाहिए. मोदी के खिलाफ ये लोग बोलते हैं इसलिए वे अपराधी नहीं, बल्कि हिंदुस्थान की सार्वभौम संसद को उड़ाने की साजिश के सूत्रधार अफजल गुरू के समर्थन का, उसके 'जिंदाबाद' के नारे लगानेवालों के खिलाफ यह आरोप-पत्र है.

कन्हैया पर लगे देशद्रोह के आरोप का राजनीतिक लाभ न उठाए बीजेपी 

शिवसेना ने कहा कि मुंबई पर हमला करनेवाले कसाब और संसद पर हमला करनेवाले अफजल गुरू के लिए जिनका दिल धड़कता है वे इस देश को छोड़कर चले जाएं. कसाब को हिंदुस्थान की अदालत ने बचाव का पूरा मौका दिया था. कन्हैया कुमार तथा उनकी टोली को भी वो मिलेगा. पुलिस द्वारा दिए गए सबूत फर्जी होंगे तो वे अदालत में नहीं टिकनेवाले.

कन्हैया कुमार पर वार करते हुए शिवसेन ने कहा, ''कन्हैया कुमार अच्छा बोलता है. वो देश के बागी, बेरोजगार युवकों का प्रतिनिधि है इसलिए वह अफजल गुरू जिंदाबाद और कश्मीर आजादी का नारा नहीं दे सकता. वैसे बीजेपी भी किस मुंह से कन्हैया कुमार का विरोध करेगी? अफजल गुरू को स्वतंत्रता सेनानी माननेवाली, शहीद कहने वाली महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाने का महापाप बीजेपी ने कश्मीर में किया है. ऐसे में कन्हैया कुमार पर लगे देशद्रोह के आरोप का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश न करें यही बीजेपी के लिए हितकारी होगा.

बता दें कि हाल के दिनों में शिवसेना पूरी तरह से बीजेपी पर हमलावर हो चुकी है. शिवसेना ने एलान किया है कि वह बीजेपी की गठबंधन से अगल होकर 2019 लोकसभा चुनाव में उतरेगी.

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