नई दिल्ली: गुजरात का अहमदाबाद नगर निगम इंदिरा ब्रिज से सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ने वाली रोड के किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों के आगे बड़ी दीवार बना रहा है. कहा जा रहा है कि यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है कि ताकि भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर इसपर ना पड़े. अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी 2 दिवसीय भारत यात्रा के दौरान अहमदाबाद का दौरा करने वाले हैं. अब शिवसेना ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.


शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, ''गुलाम हिंदुस्तान में इंग्लैंड के राजा या रानी आते थे, तब उनके स्वागत की ऐसी ही तैयारी होती थी और जनता की तिजोरी से बड़ा खर्च किया जाता था. मिस्टर ट्रंप के बारे में भी यही हो रहा है. अपने 'गुलाम' मानसिकता के लक्षण इस तैयारी से दिख रहे हैं.'' सामना में सवाल उठाते हुए लिखा गया कि ''ट्रंप कोई बड़े बुद्धिजीवी, प्रशासक, दुनिया का कल्याण करने वाले विचारक हैं क्या? निश्चित ही नहीं लेकिन सत्ता पर बैठे व्यक्ति के पास होशियारी की गंगोत्री है. यह मानकर ही दुनिया में व्यवहार करना पड़ता है. सत्ता के सामने होशियारी चलती नहीं बाबा! 'मौका पड़े तो गधे को भी बाप कहना पड़ता है.' यह दुनिया की रीत है.'' सामना ने लिखा, ''ऐसा पढ़ने में आ रहा है कि ट्रंप केवल तीन घंटों के दौरे पर आ रहे हैं और उनके लिए 100 करोड़ रुपया सरकारी तिजोरी से खर्च हो रहा है.''


शिवसेना ने सवाल उठाया कि ''पीएम नरेंद्र मोदी 15 सालों तक गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री और अब पांच सालों से पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं फिर भी गुजरात की गरीबी और बदहाली छिपाने के लिए दीवार खड़ी करने की नौबत क्यों आई?'' सामना में आगे कहा गया है कि ''पहले 'गरीबी हटाओ' की घोषणा को लेकर काफी उपहास उड़ा था. उसी घोषणा का रूपांतरण अब 'गरीबी छुपाओ' इस योजना में हुआ दिख रहा है. नए वित्तीय बजट में उसके लिए अलग से आर्थिक प्रावधान किए गए हैं क्या? पूरे देश में ऐसी दीवारें खड़ी करने के लिए अमेरिका, हिंदुस्तान को कर्ज देगा क्या?''


बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप 24-25 फरवरी को भारत के दौरे पर होंगे. इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य का भी दौरा करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की यह पहली भारत यात्रा होगी. ट्रम्प के स्वागत में 24 फरवरी को अहमदाबाद में होने वाले भव्य समारोह का नाम 'नमस्ते ट्रम्प' होगा. 'केमछो ट्रम्प' की बजाय इसे नमस्ते ट्रम्प रखने का फैसला इसलिए किया गया है ताकि इसमें किसी एक क्षेत्र की रंगत के बजाए व्यापक भारतीयता का रंग नज़र आए.


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