Shinde vs Thackeray: एकनाथ शिंदे को शिवसेना का चुनाव चिह्न दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (22 फरवरी) को सुनवाई हुई. इसके बाद शीर्ष अदालत ने शिंदे गुट को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा.


सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई. कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है. शिंदे पक्ष अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेगा जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं. अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.


शिंदे के वकील की दलील


इस दौरान शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए. इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए.


कौल ने कहा कि इन्होंने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग की थी, जो नहीं मिली थी. अब फिर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद के बाकी मामले लंबित हैं. इसलिए इसे भी सुनिए. लेकिन यह कोई आधार नहीं. 


कपिल सिब्बल ने क्या तर्क दिए?
वहीं उद्धव ठाकरे की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है. इसलिए, विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे. यह गलत है. अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है.


उसकी उपेक्षा की गई. इसके बाद कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे. इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई. उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से वंचित नहीं करता. 


चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया. दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया. आयोग विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है.


इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम याचिका को सुनेंगे. नोटिस जारी कर रहे हैं. इसपर उद्धव के वकील सिब्बल ने कहा कि लेकिन आयोग के फैसले पर रोक लगनी चाहिए. यह एक के बाद पार्टी दफ्तर पर कब्ज़ा कर रहे हैं. सिंघवी आज अगर यह लोग कोई व्हिप जारी कर दें तो हमारे समर्थक अयोग्य हो जाएंगे, इसलिए, रोक लगनी चाहिए. इस पर सीजेआई ने कहा कि यह लोग कह रहे हैं कि वह फिलहाल ऐसा नहीं करेंगे. इस पर सिब्बल ने कहा कि लेकिन कई बातें हैं, पार्टी के बैंक अकाउंट पर इनका कब्ज़ा हो जाएगा. 


सीजेआई ने किया नोटिस जारी
ठाकरे के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि हमें शिवसेना उद्धवसाहेब बालासाहेब नाम और अभी चल रहे अस्थायी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करते रहने की इजाजत दी जाए. चीफ जस्टिस ने पूरे मामले पर 2 हफ्ते में नोटिस ओर जवाब दें. फिलहाल उद्धव कैंप अपने मौजूदा नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करना जारी रख सकता है. 


मामला क्या है?
निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे की अगुवाई वाले गुट को शुक्रवार (17 फरवरी) को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की स्थापित अविभाजित शिवसेना का 'धनुष-बाण' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था. इसी फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. 


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