मुंबईः देश में सबसे तेज दिमाग राजनेता माने जानेवाले शरद पवार के तारे इन दिनों गर्दिश में हैं. एक के बाद एक चुनावों में लगातार गिरता हुआ पार्टी का प्रदर्शन, पुराने और वफादार नेताओं का छोड़ कर जाना और अब आपराधिक मामले में नाम आना, ये बताता है कि पवार अपने सियासी करियर के सबसे नाजुक दौर से गुजर रहे हैं.
शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा है ये अंदाज़ा लगा पाना कठिन है. सियासी हलकों में कहा जाता है कि जो पवार बोलते हैं वो करते नहीं और जो करते हैं वो बोलते नहीं. पीएम मोदी खुलकर ये एलान कर चुके हैं कि वो पवार को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं. 78 साल के पवार का कद देश की राजनीति में काफी बड़ा है. वे 3 बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, केंद्र में रक्षा मंत्री और कृषि मंत्री रहे और राजनीति के बाहर क्रिकेट में आईपीएल के जनक के तौर पर भी उन्हें देखा जाता है. 50 साल से ऊपर के अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे हैं लेकिन जिन घटनाक्रमों से इन दिनों वे गुजर रहे हैं वैसा वक्त उन्होंने पहले शायद ही देखा हो.
90 के दशक में बतौर कांग्रेस के नेता उनकी महत्वाकांक्षा देश का प्रधानमंत्री बनने की थी लेकिन पार्टी में जिस तरह से गांधी परिवार का वर्चस्व था उसे देखकर ये सपना पूरा होना उन्हें नामुमकिन लगा. इसलिए सोनिया गांधी के इटालियन मूल को मुद्दा बनाते हुए उन्होंने 1999 में अपनी अलग पार्टी बनाई राष्ट्रवादी कांग्रेस. ये अलग बात है कि उसी साल होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया और कहा कि विदेशी मूल का मुद्दा राज्य में लागू नही होता. इसके बाद यूपीए1 और यूपीए2 में भी वो बतौर मंत्री शामिल हुए. 1999 से लेकर 2014 तक उनकी पार्टी 3 बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करके महाराष्ट्र की सत्ता में रही.
2014 से पवार का सियासी ग्राफ ढलान की ओर जाने लगा. लोकसभा चुनाव में 48 में से सिर्फ 6 सीटें मिलीं जबकि विधानसभा की 288 सीटों में से सिर्फ 41 सीटें. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 48 में से सिर्फ 4 सीटें मिलीं. स्थानीय निकाय के चुनावों में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी.
चुनावों में गिरते प्रदर्शन के साथ साथ पार्टी से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन ने भी पवार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एनसीपी के कई दिग्गज नेता पवार का साथ छोड़कर बीजेपी और शिवसेना जैसी विरोधी पार्टियों में शामिल हो गए. छोड़कर जाने वालों में विजयसिंह मोहिते पाटिल, पदमसिंह पाटिल और मधुकर पाटिल जैसे वे पुराने साथी भी हैं जिनके साथ पवार ने एनसीपी का गठन किया था.
पार्टी से पलायन के अलावा अब पवार के लिए एक और मुसीबत आपराधिक मामले की शक्ल में आई है. बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुम्बई पुलिस ने कोआपरेटिव बैंक घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज की. इस एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज कर लिया है और जांच के घेरे में शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार आ गए हैं.
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