SC-ST Creamy Layer: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (01 अगस्त) को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के उप-वर्गीकरण की परमीशन दी, ताकि इन समुदायों में अधिक पिछड़े लोगों को अलग से कोटा दिया जा सके. इसको लेकर केंद्र सरकार ने बीते दिन शुक्रवार (09 अगस्त) को कैबिनेट मीटिंग में फैसला करते हुए कहा कि संविधान में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है, ऐसे में ये लागू नहीं किया जा सकता.

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कैबिनेट ब्रीफिंग देते हुए सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कैबिनेट मीटिंग में एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हालिया राय पर विस्तार से चर्चा हुई. डॉ. बीआर आंबेडकर के तैयार संविधान में एससी-एसटी के लिए जो आरक्षण की व्यवस्था है, उसमें क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है. केंद्र सरकार डॉ. आंबेडकर के संविधान को लेकर प्रतिबद्ध है. इसीलिए अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति का आरक्षण संवैधानिक दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही लागू रहेगा.”

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की 7 जजों की संविधान पीठ ने क्रीमी लेयर के पक्ष में फैसला दिया था जबकि एक जज ने इसका विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर ओबीसी आरक्षण की क्रीमी लेयर से अलग होना चाहिए. जस्टिस पंकज मित्तल ने एक टिप्पणी में कहा था कि एक छात्र नामी सेंट स्टीफन्स कॉलेज में पढ़ता है और एक छात्र किसी गांव के स्कूल या कॉलेज में प़ता है तो इन दोनों को एक समान नहीं माना जा सकता. अगर किसी पीढ़ी ने आरक्षण का लाभ उठाकर खुद को विकसित कर लिया है तो दूसरी पीढ़ी को इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए.

क्या होता है क्रीमी लेयर?

दरअसल, क्रीमी लेयर एक कट-ऑफ प्वाइंट स्थापित करता है जिसके नीचे ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण विशेषाधिकार उपलब्ध होते हैं. इसको आसान शब्दों में समझें तो क्रीमी लेयर में उस वर्ग के लोग आते हैं जो आर्थिक और सामाजिक रूप से सफल हो चुके हैं और उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. मौजूदा समय में ओबीसी वर्ग के रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर लागू है.

ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. वहीं, क्रीमी लेयर के प्रावधान के तहत अगर ओबीसी वर्ग के किसी परिवार की एक साल में 8 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम है तो उस परिवार को रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिलेगा.

क्रीमी लेयर में कौन-कौन हैं शामिल?

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, चीफ इलेक्शन ऑफिसर, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, यूपीएससी के अध्यक्ष यानि संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति क्रीमी लेयर में आते हैं. इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार की सर्विस में शामिल ग्रुप ए और ग्रुप बी कैटगरी के अधिकारियों को भी क्रीमी लेयर जगह दी जाती है.

संविधान क्या कहता है?

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान में अनुच्छेद 15 (4) 16 (4) में कहा गया है कि राज्य के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए विशेष प्रावधान किया जा सकता है या खास सुविधाएं दी जा सकती हैं. वहीं, अगर राज्य को लगता है कि राज्य में पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं है तो आरक्षण की व्यवस्था भी की जा सकती है.

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