नई दिल्ली: हिंदू विवाह कानून में लड़का-लड़की की सहमति की शर्त डालने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट में सहमति की शर्त पहले से है. इस पर अलग से सुनवाई की ज़रूरत नहीं.
क्या है मामला
कर्नाटक के एक रसूखदार राजनीतिक परिवार की लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उसकी शिकायत है कि उसके परिवार वालों ने पिछले महीने ज़बरदस्ती उसकी शादी करवा दी. लड़की के मुताबिक उसने बार-बार परिवार की पसंद के लड़के से शादी करने से मना किया, पुलिस में शिकायत तक की. लेकिन आखिरकार जबरन उसकी शादी उसी लड़के से करवा दी गई.
लड़की की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने मांग की कि शादी को रद्द घोषित किया जाए. कोर्ट लड़की को सुरक्षा दे. साथ ही हिंदू मैरिज एक्ट में शादी के लिए लड़का-लड़की की सहमति अनिवार्य करने का प्रावधान किया जाए.
जयसिंह ने कहा कि ज़बरदस्ती करवाई गई शादी को लेकर एक्ट में कुछ नहीं कहा गया है. एक्ट के सेक्शन 5 (ii) में सिर्फ इतना लिखा है कि अगर कोई पक्ष दिमागी तौर पर इस लायक न हो कि सहमति दे सके, तब शादी नहीं हो सकती. इसमें ऐसा नहीं लिखा कि शादी के लिए सहमति अनिवार्य है.
सहमति की बात कानून में पहले से
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें टोकते हुए कहा, "सेक्शन 5 (ii) सहमति के लिए दिमागी तौर समर्थ होने की बात कहता है. साफ है कि सहमति की बात एक्ट में पहले से लिखी है."
इंदिरा जयसिंह ने मांग की कि सहमति की बात साफ लिखी जानी चाहिए. कोर्ट इसे अनिवार्य बनाने के लिए विस्तार से सुनवाई करे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, "एक्ट के सेक्शन 12 (c) में लिखा है कि अगर शादी धोखे से या ज़बरदस्ती करवाई गई हो, तो ये तलाक का आधार है. मतलब, बिना सहमति के हुई शादी को कानून मान्यता नहीं देता. हमें नहीं लगता कि आपकी मांग सुनवाई के लायक है."
शादी रद्द करवाने के लिए निचली अदालत जाएं
कोर्ट ने आगे कहा कि अगर याचिकाकर्ता की शादी जबरन करवाई गई है तो वो सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल करे. सिविल कोर्ट एक्ट के प्रावधान के मुताबिक सुनवाई करेगा और उचित आदेश देगा. अगर सिविल कोर्ट शादी रद्द नहीं करता तो हाईकोर्ट जाए. वहां से भी राहत नहीं मिलती, तब सुप्रीम कोर्ट आए. इस तरह सीधे सुप्रीम कोर्ट आकर शादी निरस्त करने की मांग नहीं की जा सकती.
लड़की को सुरक्षा दी
हालांकि, कोर्ट ने लड़की को सुरक्षा देने की मांग स्वीकार कर ली. कोर्ट को बताया गया कि लड़की कर्नाटक से भाग कर दिल्ली आ गई है और इस वक्त दिल्ली महिला आयोग के संरक्षण में है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि वो याचिकाकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराए. कोर्ट ने कर्नाटक और केंद्र सरकार से जवाब देने को कहते हुए ये साफ किया कि सुनवाई सिर्फ सुरक्षा पर होगी, हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव पर नहीं. अगली सुनवाई 5 मई को होगी.