नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में चल रही राजनीतिक रस्साकशी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ 9 बीजेपी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार का तुरंत फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की गई है. इस पर कल सुनवाई होगी.


शिवराज सिंह चौहान के साथ 9 बीजेपी विधायकों- गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, विश्वास सारंग, संजय सत्येंद्र पाठक, कृष्णा गौर और सुरेश राय ने याचिका दायर की है. यह आरोप लगाया है कि एमपी विधानसभा में बहुमत खो चुकी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट को टालने की कोशिश कर रही है.


याचिका में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक की सारी स्थिति बताई गई है. कहा गया है कि बीजेपी को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं. कांग्रेस ने सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के का साथ मिल जाने के चलते कुल 121 विधायकों का समर्थन जुटा लिया. अभी राज्य में विधायकों की कुल संख्या 228 है. पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के 22 विधायकों ने राज्य सरकार के कामकाज पर असंतोष जताते हुए इस्तीफा दिया है. इनमें से 6 के इस्तीफे स्पीकर ने स्वीकार भी कर लिए हैं. इस तरह राज्य सरकार विधानसभा में बहुमत का समर्थन खो चुकी है.


बीजेपी नेताओं की याचिका में कहा गया है कि 13 मार्च को सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्ठी लिख फ्लोर टेस्ट में जाने की बात कही थी. 14 मार्च को बीजेपी विधायकों ने भी राज्यपाल से यही मांग की. इसके बाद राज्यपाल ने 16 मार्च को विधानसभा में बहुमत परीक्षण किए जाने का आदेश दिया. लेकिन राज्य में बहुमत खो चुकी सरकार बहानेबाजी कर रही है. उसके कहने पर विधानसभा स्पीकर ने सत्र को 26 मार्च तक के लिए टाल दिया है.


सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का भी हवाला याचिका में दिया गया है. कहा गया है कि 1994 में एस आर बोम्मई मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट यह साफ कर चुका है कि सरकार का शक्ति परीक्षण विधानसभा के पटल पर होना जरूरी है. बाद में नबाम रेबिया, रामेश्वर प्रसाद, जगदंबिका पाल जैसे मामलों के फैसले में भी यही व्यवस्था दोहराई गई. पिछले 2 सालों में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में सरकार को 24 घंटे के भीतर विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया था. इस मामले में भी ऐसा ही होना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट मैं इन दिनों कोरोना वायरस से बचाव के लिए कामकाज को बेहद सीमित कर दिया गया है. सिर्फ जरूरी मामलों की ही सुनवाई की जा रही है. कोर्ट ने इस मामले में तुरंत सुनवाई को जरूरी मानते हुए इसे सुनवाई के लिए लगाने पर सहमति जताई है. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने बीजेपी नेताओं के वकीलों को यह जानकारी दी है कि मामला कल सुनवाई के लिए लगाया जाएगा.


ये भी पढ़ें-


Box Office Angrezi Medium: Coronavirus के खौफ से धीमी पड़ी फिल्म की कमाई, वीकेंड्स तक महज 9 करोड़ का कलेक्शन


कोरोना वायरस के चलते क्रिस लिन ने पीएसएल को कहा अलविदा, कहा- 'क्रिकेट से ज्यादा जरूरी जिंदगी'