नई दिल्लीः बलात्कार पीड़िता की मौत के बाद उसके नाम को सार्वजनिक करने को सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना है. कोर्ट ने कहा है मरने वाले का सम्मान किया जाना चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर बलात्कार पीड़िता नाबालिग या दिमागी तौर पर असक्षम है, तो उसका नाम परिवार की सहमति से भी सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.

हालांकि, कोर्ट ने हाल ही में कठुआ मामले में पीड़िता का नाम सार्वजनिक होने पर सीधे टिप्पणी नहीं की. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट कठुआ मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए कई मीडिया संस्थानों पर 10-10 लाख का जुर्माना लगा चुका है.

आज जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच IPC के सेक्शन 228 A पर विस्तृत सुनवाई के लिए तैयार हो गई. इस सेक्शन में लिखा है कि रेप पीड़िता के मर जाने पर उसके परिवार की सहमति से उसकी पहचान सार्वजनिक की जा सकती है. पीड़िता अगर नाबालिग है या दिमागी तौर पर नाकाबिल है, तब भी परिवार की मंज़ूरी से उसकी पहचान मीडिया रिपोर्ट में बताई जा सकती है.

इस सेक्शन का उल्लंघन करने पर यानी बिना इजाज़त नाम सार्वजनिक करने पर 2 साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है.

निर्भया गैंगरेप के बाद महिला सुरक्षा पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आज एमिकस क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने सेक्शन 228A पर विस्तृत सुनवाई की मांग की. कोर्ट ने इसे मान लिया. इस मसले पर अगली सुनवाई 8 मई को होगी.