नई दिल्लीः साल 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले में पंचकूला की एनआईए अदालत ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया. अब 14 मार्च को इस पर अगली सुनवाई होगी. दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के नजदीक दो बम धमाके हुए थे. इन ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत हुई थी. मारे गए ज्यादातर नागरिक पाकिस्तान से थे.

समझौता ब्लास्ट मामले में बचाव पक्ष के वक़ील ने डाली एक नई अर्जी डाली है. सेक्शन 311 सीआरपीसी के तहत बचाव पक्ष के वक़ील ने मामले की आख़िरी सुनवाई के दौरान अदालत से गुज़ारिश की कि पाकिस्तान से चश्मदीद लाने की इजाज़त दी जाए. हालांकि एनआइए की छानबीन में तिहरा पाकिस्तानी चश्मदीद थी लेकिन सुनवाई के दौरान कोई भी पंचकूला की अदालत में नहीं पहुंचा.

बचाव पक्ष ने अदालत से गुज़ारिश की कि अगर एनआइए के कहने पर पाकिस्तानी आई-विटनेस नहीं आ रहा तो अपने दम पर चश्मदीद को लाकर उसका बयान दर्ज करवाएंगे. इसके बाद अदालत में अर्जी पर एनआईए से जवाब मांगा गया. लिहाजा पाकिस्तानी गवाहों के ना आने के कारण अदालत ने फैसला टाल दिया.

आज पंचकूला में एनआईए की अदालत में समझौता एक्सप्रेस के मुख्य आरोपियों की पेशी कोर्ट में हुई. स्वामी असीमानंद सहित सभी आरोपी जज के सामने पेश हुए. पानीपत के बहुचर्चित समझौता ब्लास्ट मामले में सुनवाई लंबे समय से चल रही थी. आज अदालत इसका फैसला सुनाने वाली थी पर कोर्ट ने 14 मार्च तक फैसला सुरक्षित रख लिया है.

मामले में 8 आरोपियों में से 1 की हत्या हो गई थी. 3 को पीओ घोषित कर दिया था. इस मामले में बचे हुए आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्म, कमल चौहान, राजिंदर चौधरी हैं जिन पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.

क्या है मामला भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था. ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी. विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था. हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी. ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे.

कौन हैं असीमानंद?

असीमानंद को 19 नवंबर 2010 को उत्तराखंड के हरिद्वार से हैदराबाद, अजमेर और समझौता एक्स्प्रेस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था.