Sahitya Akademi Award 2023: साहित्य अकादमी ने बुधवार (20 दिसंबर) को 2023 के लिए विभिन्न पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. अकादमी ने उपन्यास श्रेणी में हिंदी के लिए संजीव, अंग्रेजी के लिए नीलम शरण गौर और उर्दू के लिए सादिक नवाब सहर समेत 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.


विजेता के नाम की घोषणा साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवासराव ने नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित रवींद्र भवन में साहित्य अकादमी मुख्यालय में की. पिछली साल हिंदी भाषम में यह पुरस्कार तुमड़ी के शब्द (कविता-संग्रह) के लिए बद्री नारायण को मिला था, जबकि उर्दू में अनीस अशफाक और अंग्रेजी में अनुराधा रॉय को दिया गया था.


क्यों दिया जाता है साहित्य अकादमी पुरस्कार?
साहित्य अकादमी पुरस्कार साहित्य और भाषा के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है. इससे भारत की समृद्ध और विविध साहित्यिक विरासत को बढ़ावा और संरक्षण मिलता है. साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता को एक लाख रुपये राशि का नकद पुरस्कार दिया जाता है.
 
24 भाषाओं के लिए दिया जाता है पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में  शामिल 24 भाषाओं को दिया जाता है. इसमें उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमिया, बंगाली, डोगरी , कन्नड़, मराठी और मलयालम जैसे क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं.


कब हुई थी साहित्य अकादमी की स्थापना?
भारतीय भाषाओं के साहित्य और साहित्यकारों को बढ़ावा देने के लिए 1954 में साहित्य अकादमी की स्थापना की गई थी.  इसके पहले अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. वहीं, राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, अबुल कलाम आजाद,, जाकिर हुसैन, उमाशंकर जोशी, महादेवी वर्मा, और रामधारी सिंह दिनकर इसकी पहली काउंसिल के सदस्य थे.


साहित्य अकादमी पुरस्कार का मकसद भारत की समृद्ध और विविध साहित्यिक विरासत को बढ़ावा देना और उसको संरक्षित रखना है. भारत के बाहर भारतीय साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए अकादेमी दुनिया के विभिन्न देशों के साथ साहित्यिक विनिमय कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है.


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