मुंबई: एंटीलिया कांड और मनसुख की हत्या की जांच कर रही एनआईए ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है. चार्जशीट से हर दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं. एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक मुंबई पुलिस के पूर्व अधिकारी और इस केस में आरोपी सचिन वाजे ने एंटीलिया कांड और मनसुख की हत्या को वसूली के पैसों से अंजाम दिया था. एनआईए ने कहा कि साजिश को अंजाम देने के लिए वाजे को बहुत पैसों की जरूरत थी. सचिन वाजे के पास साजिश रचने के पैसे कहां से आए? एनआईए इसकी भी जांच कर रही है.


एनआईए ने एक बोरिवली स्थित व्यापारी का बयान दर्ज किया है, उसने बताया की कैसे सचिन वाजे वसूली का कारोबार चलाता था. व्यापारी में कहा, ‘’14-15 दिसंबर को मुझे एक होटेल व्यापारी का फ़ोन आया और उसने मुझे कमिश्न ऑफिस बुलाया. वहां पर मेरी मुलाक़ात सचिन वाजे से हुई और वाजे ने उस मीटिंग में मुझसे होटल, रेस्टोरेंट, बार की परफॉर्मेंस पर बात करने की बात कही. और फिर मैं कमिश्नर ऑफिस पहुंचा, वहां और भी होटेल इंडस्ट्री से जुड़े लोग पहले से ही मौजूद थे.’’


सचिन वाजे ने कहा था कि जो लोग पैसे देंगे, उनपर छापेमारी नहीं करेंगे- व्यापारी


व्यापारी ने बताया, ‘’सचिन वाजे ने अपने कैबिन में क्राइम ब्रांच के सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल को बुलाया. इसके बाद सचिन वाजे ने एसीपी पाटिल के सामने मीटिंग की वजह बताई और फिर वाजे ने जोन 1 से लेकर जोन 12 के तमाम होटल व्यापारियों से हर महीने 5 करोड़ रुपये दिए जाने की बात रखी. उन्हें बताया गया कि जो लोग हमारी बात मानेंगे, उनपर हम छापेमारी नहीं करेंगे और क़ानूनी करवाई भी नहीं की जाएगी.’’


व्यापारी ने आगे कहा, ‘’मीटिंग के दौरानकोरोना की वजह से हुए नुकसान की बात करके सभी होटल व्यापारियों ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई. जिसके बाद सचिन वाजे ने नया फार्मूला निकाला. वाजे ने छोटे होटल व्यापारियों से 1 लाख रुपये हर महीने, उससे थोड़े बड़े व्यापारियों से हर महीने 2 लाख रुपये और ज़्यादा अच्छा धंधा करने वाले बड़े व्यापारियों से 3 लाख रुपये हर महीने की रकम तय की. वाजे ने ज़ोन 1 से लेकर ज़ोन 7 (यानि फोर्ट, वर्ली से लेकर घाटकोपर, विक्रोली, मुलुंड) तक के इलाके से पैसे के कलेक्शन की जिम्मेदारी दोस्त को दी. जबकि वेस्टर्न मुंबई यानि बांद्रा से लेकर दहिसर तक के 91 होटल्स से पैसे के कलेक्शन की जिम्मेदारी मुझे और मेरे दो पहचान के लोगों को दी. मीटिंग के बाद सचिन वाजे ने गुडलक के तौर पर हमसे 50 लाख रुपये मांगे. लेकिन हमने दो किश्तों में महज़ 40 लाख रुपये ही दिए.’’


व्यापारी ने एनआईए को बताया कि हमने पहली किस्त 18-19 दिसंबर 2020 को 28 लाख रुपये दिए और फिर 23 दिसंबर 2020 को 13 लाख रुपये दिए. मैं इससे पहले कभी भी सचिन वाजे से नही मिला था, लेकिन इसके बाद सचिन वाजे मुझे व्हट्सएप कॉल के ज़रिए होटल्स से मिलने वाले कलेक्शन की जानकारी लेने लगा.


पैसे नहीं तो छापेमारी


सचिन वाजे का सीधा हिसाब था. पैसे दिया तो छापेमारी नहीं और नहीं दिया तो छापेमारी. इसी हिसाब से जो होटल या रेस्टोरेंट वाला टाइम पर पैसे नही देता था, सचिन वाझे उसके यहां छापेमारी करवा दिया करता था. व्यापारी ने बताया कि होटल्स और बार से कलेक्शन के बाद मैने और दूसरे व्यापारी ने 10-12 जनवरी 2021 को सचिन वाझे को कमिश्नर ऑफिस के कंपाउंड में बनी नई इमारत के चौथी मंज़िल पर स्थित ऑफ़िस जाकर 80-86 लाख रुपये सौंपे थे.


व्यापारी ने कहा, ‘’17-18 जनवरी 2021 को सचिन वाजे को 40 लाख रुपये दिए गए थे. इसके साथ ही पैसे देने वाले होटल्स के नाम और एड्रेस की हस्तलिखित और टाइप की हुई लिस्ट भी दी थी. ये लिस्ट एक व्यापारी बनाया करता था. 12 फ़रवरी 2021 को मैंन और दूसरे व्यापारियों ने मिलकर सचिन वाजे के ऑफिस में 89 लाख रुपये, 17-18 फरवरी को 38-40 लाख रुपये और ये रकम देने वाले होटल्स की लिस्ट दी गयी थी. दादर के तन्दूर होटल से मिले 1 लाख रुपये को मैंने और एक व्यापारी ने 20-28 फरवरी 2021 को सचिन वाझे को सौंपा था.’’


व्यापारी ने अपने बयान में आगे बताया कि आखिरी बार मैं सचिन वाजे से 3 मार्च को अपने दोस्त के साथ मिला था. मेरे दोस्त को मुंबई पुलिस के HQ1 ऑफिस से बोरीवली इलाके में ओरकेस्ट्रा बार चलाने का लाइसेंस चाहिए था. जब हम सचिन वाझे से मिलने गए तो वो एक दूसरी मीटिंग में व्यस्त था. हम वेटिंग रूम में थे, जहां पहले से 3 लोग इंतेज़ार कर रहे थे. उनमें से एक शख्स ने मुझसे मेरा परिचय मांगा तो मैंने उसे बताया कि मेरा होटल का काम है. उस शख़्स ने अपना परिचय कॉन्स्टेबल विनय के तौर पर दिया. इसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे से मोबाइल नंबर एक्सचेंज किए.


व्यापारी ने कहा कि विनय ने मुझे कभी कॉल नहीं किया, लेकिन जब मुझे एंटीलिया कांड में उसके गिरफ़्तार होने की खबर का पता चला तो मैंने उसका नंबर डिलीट कर दिया. कांस्टेबल विनय के साथ जो तीसरा शख्स उस वेटिंग रूम में बैठा था वो मनसुख हिरन था. जब मैंने उसे टीवी पर देखा तब मुझे उसका नाम पता चला.


कई बार मनसुख को वाजे ने केबिन में बुलाया


व्यापारी ने कहा, ‘’मैं वाजे से मिलने के लिए इंतेज़ार कर रहा था और करबी ढ़ाई घंटे के वक्त में मनसुख हिरन को सचिन वाजे के रूम में 8 से 10 बार बुलाया गया और फिर वापस बाहर भेजा गया. करीब 6.30 बजे 3 पुलिस अधिकारी सचिन वाझे के केबिन से बाहर आए. जिसने से एक मुंबई क्राइम के यूनिट 11 के इंचार्ज सुनील माने थे, जिन्हें में 10- 11 साल से जानता था. बाकी दो लोगो को मैं नहीं जानता था, किसी ने बताया कि उनमें से एक डीसीपी थे. इसके बाद सचिन वाझे ने हमे अपने केबिन में बुलाया. मैने सचिन वाझे को मेरे दोस्त जिगर के ओरकेस्ट्रा बार लाइसेंस देने के लिए बात की तो सचिन वाझे ने हमसे झेरोक्स पेपर ले लिये और अगले दिन याद दिलाने के लिए कहा.


व्यापारी ने कहा, ‘’मैंने अगले दिन यानि 4 मार्च को वाजे को कॉल किया, लेकिन सचिन ने कहा कि वो किसी के साथ मीटिंग में हैं और अभी बिज़ी हैं. इसके बाद मुझे कभी भी सचिन वाजे का कॉल नहीं आया और ना मैं उससे मिला.’’


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