कर्नाटक में आरएसएस विवाद को लेकर विश्व हिंदू परिषद के नेता विनोद बंसल ने कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने दिल्ली में सोमवार (20 अक्टूबर, 2205) को न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि कर्नाटक का एक मुख्यमंत्री, जिसके माता-पिता के नाम में 'राम' है, जिसकी पत्नी का नाम 'पार्वती' है और जो खुद सिद्धारमैया कहलाता है वो लोगों को 'सनातनियों' की संगति से दूर रहने को कहता है.

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उन्होंने आगे कहा कि उनके मंत्रिमंडल के मंत्री क्या कहते हैं? सनातन को खत्म कर दो क्योंकि यह डेंगू, मलेरिया है और वे आरएसएस और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा देंगे. 

क्या बोले विहिप नेता विनोद बंसल ?

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विहिप नेता विनोद बंसल ने कर्नाटक में आरएसएस पर प्रतिबंधों को लेकर कहा कि यह कैसी मानसिकता है? वे सनातन से जितना दूर जाएंगे, उनके मतदाता उनसे उतना ही दूर होते जाएंगे. वे यह क्यों नहीं समझ सकते?

चित्तपुर में आज दिवाली पर आरएसएस को मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी गई है. इस मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी. इसी पर एएनआई से बात करते हुए कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "तीन से अधिक संगठनों ने चित्तपुर में मार्च पास्ट करने की मांग की है और स्थानीय अधिकारियों ने तीनों को यह कहते हुए मना कर दिया है कि सभी एक ही समय पर मांग कर रहे हैं."

RSS के मार्च पास्ट को लेकर प्रियांक खरगे ने क्या कहा?

प्रियांक खरगे ने कहा कि माहौल इसलिए भी अनुकूल नहीं है क्योंकि आरएसएस ने वहां के मौजूदा विधायक के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जान से मारने की धमकियां दीं. आरएसएस ने हमेशा की तरह कानून का पालन नहीं किया. वे इस गैरकानूनी सभा के लिए अनुमति लेने अदालत गए. कानून-व्यवस्था बनाए रखना स्थानीय अधिकारियों और राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है. आपको आरएसएस से मार्च के समय के बारे में पूछना चाहिए. 

उन्होंने आगे कहा कि जब मुझे उनके गुंडे जान से मारने की धमकियां देने लगे तो उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए वहीं मार्च करना चाहा. अगर आप जनप्रतिनिधि को गाली देंगे तो और भी लोग और संगठन हैं जो ये सब करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. यह सुनिश्चित करना मेरा कर्तव्य है कि कोई अप्रिय घटना न घटे.

प्रियांक खरगे ने कहा कि अगर किसी संस्था द्वारा मार्च निकाला जा रहा है तो कृपया उस संस्था के दस्तावेज़ जमा करें जहां वे पंजीकृत हैं. किसी स्थानीय व्यक्ति ने अनुमति के लिए संपर्क नहीं किया. बस मुख्यालय से कुछ लोगों ने पुलिस को पत्र लिखकर बताया है कि हम यही रूट मार्च कर रहे हैं. हमने सिर्फ़ आरएसएस को ही मना नहीं किया है बल्कि भीम आर्मी और दलित पैंथर्स को भी अनुमति नहीं दी गई है. 

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