RSS chief Mohan Bhagwat: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार  (26 नवंबर) को कहा कि भारत के पास अपनी 'प्राण शक्ति' है, लेकिन 500 साल के 'संस्कार' उनकी चेतना में गहराई से समाहित होने के कारण यह कई लोगों को दिखाई नहीं देती है. दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि यह भारत की 'प्राण शक्ति' (जीवन शक्ति) है, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई संकट आने पर उसे मदद के लिए दौड़ने पर मजबूर कर देती है. बिना इस बात पर विचार किए कि देश किस संकट का सामना कर रहा है. स्थिति चाहे कोई भी हो चाहे वो शत्रुतापूर्ण हो या मैत्रीपूर्ण रहे.

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "भारत में भी एक 'प्राण शक्ति' है, जो हमारी आंखों के सामने है लेकिन दिखाई नहीं देती क्योंकि 500 साल का 'संस्कार' हमारे अंदर गहराई से समाया हुआ है. उन्होंने इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर प्रतिष्ठापन के परोक्ष संदर्भ में कहा, ''भारत की 'प्राण शक्ति' आम आदमी और छोटी-छोटी चीजों में दिखाई देती है. यह आश्चर्यजनक रूप से 22 जनवरी को दिखाई दी.''

अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं- भागवतदिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मुकुल कानिटकर द्वारा लिखित पुस्तक 'बनें जीवन प्रणवाण' के विमोचन के लिए आयोजित किया गया था. कार्यक्रम के आयोजक के अनुसार, यह पुस्तक पाठकों को भारतीय परंपराओं के वैज्ञानिक और दार्शनिक आधारों को जानने की यात्रा पर ले जाती है. यह जीवन, विचार और क्रिया के गहन अंतर्संबंध को उजागर करता है, "प्राण" को समझने के महत्व पर जोर देता है - वह जीवन शक्ति जो सभी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक घटनाओं की नींव बनाती है. पुस्तक के प्रकाशन की सराहना करते हुए भागवत ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान के बीच कोई विरोध नहीं है. उन्होंने कहा, "जानें और फिर विश्वास करें...अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं है."

ये भी पढ़ें: इंडिया गठबंधन दरार, TMC बोली- ममता को बनाया जाए विपक्ष का लीडर, कांग्रेस ने कहा- आपकी पार्टी कुएं का मेंढक