नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक प्रकट किया और उन्हें ‘एक महान विद्वान और देशभक्त’ बताया. उन्होंने कहा कि उनके निधन से हुई क्षति की पूर्ति नहीं की जा सकती है.


भागवत ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘ भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी का निधन उन सभी स्वयंसेवकों के लिए बहुत बड़ी क्षति है जो उनके संपर्क में आये थे. जब वह राष्ट्रपति थे तब मैं उसने दो बार मिला था और उसके बाद मैं उनसे तीन-चार बार मिला.’’


उन्होंने कहा कि पहली मुलाकात के दौरान वह उनके सौम्य आचरण के चलते भूल ही जाते थे कि वह भारत के राष्ट्रपति के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगा कि जैसे मैं अपने परिवार के किसी बड़े सदस्य से बातचीत कर रहा हूं. ’’


भागवत ने कांग्रेस के कई नेताओं की आलोचनाओं के बीच सात जून, 2018 को यहां रेशिमबाग मैदान में संघ के महत्वपूर्ण कार्यक्रम (तृतीय वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रम) में मुखर्जी के पधारने को याद किया.


संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘ जब वह अपना परिचय देने के लिए स्वयं आगे आये और खड़े होकर कहा कि ‘चूंकि हम सभी एक दूसरे को जानने के लिए एकत्रित हुए हैं, तो सबसे पहले मैं आपके सामने अपना परिचय दूं’ तब सभी उनकी सादगी और सौहार्द्रपूर्ण आचरण के कायल हो गये थे.’’


उन्होंने कहा कि मुखर्जी बहुत ही अनुभवी और ज्ञानवान व्यक्ति थे जो सभी के मार्गदर्शक थे.उन्होंने कहा, ‘‘ यदि हमें उनसे मिलने और बतियाने का मौका मिलता था तो हमें लगता था कि उनके साथ बातचीत करते रहें और उन्हें सुनते रहें.’’


भागवत ने कहा, ‘‘ वह बहुत सफल राजनेता थे और उनकी बहुत सफल राजनीतिक यात्रा रही. वह सभी राजनीतिक रणनीतियां जानते थे लेकिन वह राजनीति से ऊपर उठे और सदैव उन्होंने राष्ट्रहित में सभी को अपना समझा. जब राजनीतिक टकराव होता था तो भी वह लोगों को एकसाथ लाते थे.’’


उन्होंने कहा, ‘‘ हमने एक विद्वान एवं देशभक्त खो दिया है जो मार्गदर्शन के सच्चे स्रोत थे. यह क्षति कभी भरी नहीं जा सकती है. प्रणब दा मुझ जैसे लोगों के जीवन में बहुत कम समय के लिए आये लेकिन वह हमेशा याद किये जाएंगे. हम दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं.’’


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