पूर्व भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के अध्यक्ष नरिंदर ध्रुव बत्रा और हॉकी इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से बड़ी राहत मिली है. राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही जांच में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने साफ कहा कि जांच एजेंसी की रिपोर्ट में किसी तरह की खामी नहीं है और आरोपियों के खिलाफ किसी भी आपराधिक कृत्य का प्रमाण नहीं मिला है. 

सीबीआई के स्पेशल जज मुकेश कुमार ने अपने आदेश में कहा, 'सीबीआई ने इस मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच की है. कोर्ट इस निष्कर्ष से संतुष्ट है कि इस मामले में किसी भी आरोपी के खिलाफ आगे की कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है'.

क्या था मामला ? सीबीआई ने जुलाई 2022 में नरिंदर बत्रा, हॉकी इंडिया के कार्यकारी निदेशक कमांडर आर. के. श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्ष राजिंदर सिंह और पूर्व महासचिव मोहम्मद मुश्ताक अहमद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. आरोप था कि बत्रा ने आईओए भवन में अपने कार्यालय का नियमों के विरुद्ध नवीनीकरण कराया था. शिकायत में कहा गया था कि बिना हॉकी इंडिया की कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति के यह कार्य कराया गया और खर्चों को सही दिखाने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी की गई.

सीबीआई को नहीं मिले पुख्ता सबूतसीबीआई ने करीब दो साल तक मामले की गहन जांच की. इस दौरान नवीनीकरण से जुड़े सभी खर्चों और दस्तावेजों की जांच की गई लेकिन एजेंसी किसी भी प्रकार की आपराधिक साजिश या भ्रष्टाचार के प्रमाण सामने नहीं ला सकी. इसके बाद सीबीआई ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. रिपोर्ट में कहा गया कि आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं.

राउज एवेन्यू कोर्ट ने शिकायतकर्ता से भी ली रायराउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने से पहले शिकायतकर्ता से भी उनकी राय जानी. शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्हें भी सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामला समाप्त कर दिया.

मई 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा हॉकी इंडिया में आजीवन सदस्यता का पद समाप्त किए जाने के बाद नरिंदर बत्रा ने IOA अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया था.

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