नई दिल्ली: निजता के मौलिक अधिकार पर आज सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है. इस फैसले के बाद सरकार आपकी निजी जानकारी जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट निजता का मौलिक अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिया है.


क्या है निजता का मौलिक अधिकार


निजता के मौलिक अधिकार के मुताबिक, अब आपकी निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी. यानी अगर टैलिकॉम कम्पनियां, रेलवे या एयरलाइन कंपनियां आपसे आपकी निजी जानकारी मांगती हैं तो इस स्थिति में निजता के मौलिक अधिकार के तरह आप अपनी जानकारी देने से इनकार कर सकते हैं.


संविधान से हर नागरिक को मिले बुनियादी मानव अधिकार हैं. जैसे- बराबरी का अधिकार, अपनी बात कहने का अधिकार, सम्मान से जीने का अधिकार वगैरह. इन अधिकारों का हनन होने पर कोई भी व्यक्ति हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकता है.


हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप स्वतंत्र हैं या आपसे कोई आपकी निजी जानकारी नहीं पूछेगा. इसका भी एक दायरा है. यदि किसी ने कोई अपराध किया है तो वो निजता की दलील देकर जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकते.


क्या होगा इसका असर


इस फैसले का सबसे बड़ा असर ये होगा कि भविष्य में सरकार के नियम-कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकेगी कि वो निजता के अधिकार का हनन करता है. हालांकि, किसी भी मौलिक अधिकार की सीमा होती है. संविधान में बकायदा उनका ज़िक्र है. कोर्ट को निजता की सीमाएं भी तय करनी पड़ेंगी.


ऐसा नहीं हो सकता की निजता की दलील देकर सरकार का हर काम ही ठप करा दिया जाए. यानी कल को कोई ये कहना चाहे कि वो बैंक एकाउंट खोलने के लिए अपनी फोटो या दूसरी निजी जानकारी नहीं देगा तो ऐसा नहीं हो सकेगा.


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